फिल्म का काम पब्लिक ऑर्डर डिस्टर्ब करना नहीं, 'आदिपुरुष' पर हाईकोर्ट, कहा- डॉयरेक्टर को भी जारी करेंगे नोटिस
फिल्म आदिपुरुष को लेकर हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि फिल्म का काम पब्लिक ऑर्डर डिस्टर्ब करने का माध्यम बनना नहीं है। इसके साथ ही कहा कि हम निर्देशक के खिलाफ भी नोटिस भी जारी करेंगे।
आदिपुरुष फिल्म के खिलाफ दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को कहा कि हम फिल्म के निर्देशक ओम राउत को भी नोटिस जारी कर सकते हैं। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि एक फिल्म में हमने देखा कि भगवान शिव को त्रिशूल बगल में दबाए भागते हुए दिखाया गया, अब बात बढ़ते बढ़ते इस विवादास्पद फिल्म तक आ गई। फिल्म का काम पब्लिक ऑर्डर डिस्टर्ब करने का माध्यम बनना नहीं है। इससे पहले मंगलवार को हाईकोर्ट ने फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को प्रतिवादी बनाने की अर्जी स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया था।
न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि मान लीजिए कि कुरान पर एक आधे घंटे की डॉक्यूमेंट्री बना दी जाए, आप कल्पना कर सकते हैं उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी, हालांकि हम यहां किसी एक मजहब की बात नहीं कर रहे, किसी भी धर्म, मजहब के पवित्र ग्रंथों का गलत चित्रण करते फिल्म नहीं बननी चाहिए। वहीं फिल्म की निर्माता कम्पनी रेट्रोफाइल्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप सेठ ने पेश होकर दोनों याचिकाओं का विरोध किया।
मंगलवार को भी अदालत ने फिल्म निर्माताओं और निर्देशक पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि हिन्दू सहिष्णु हैं और हर बार उनकी सहनशीलता की परीक्षा ली जाती है, उन्हें दबाना सही है क्या। न्यायालय ने कहा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल बंद कराने गए थे लेकिन उन्होंने भी सिर्फ हॉल बंद करवाया, वे और भी कुछ कर सकते थे। फिल्म में दिखाए गए डिसक्लेमर पर न्यायालय ने टिप्पणी की कि आप भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण और लंका दिखाते हैं और डिसक्लेमर लगाते हैं कि यह रामायण नहीं है, क्या आपने देशवासियों को बेवकूफ समझा है।