आबकारी कांस्टेबल भर्ती: महिलाओं के चयन मामले में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने किया इनकार
आबकारी कांस्टेबल भर्ती में महिलाओं के आरक्षित पदों से अधिक पर चयनित होने के मामले में हस्तक्षेप करने से HC ने इनकार कर दिया है। HC ने कहा कि पुरुषों-महिलाओं में भेदभाव करने का आरोप निराधार है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आबकारी कांस्टेबल भर्ती में महिलाओं के आरक्षित पदों से अधिक पर चयनित होने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पुरुष और महिला का शारीरिक दक्षता में वर्गीकरण करना मनमाना नहीं है। पुरुषों और महिलाओं में भेदभाव करने का आरोप निराधार है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रमोद कुमार सिंह व सिद्धार्थ पांडेय की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा नारी शक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति। महिलाओं ने बड़ी संख्या में सफलता अर्जित कर विफल पुरुषों को मेरिट में पीछे छोड़ा है। पुरुष ही आगे रहेगा, 21वीं सदी में यह स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि चयन प्रक्रिया को चुनौती न देने वाले विफल होने पर चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकते। इस आधार पर याचिका पोषणीय नहीं है।
मामले के तथ्यों के अनुसार अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रुप सी की आबकारी कांस्टेबलों की भर्ती निकाली। जिसमें 203 सामान्य,109 ओबीसी, 85 एससी, आठ-आठ एसटी व स्वतंत्रता सेनानी आश्रित, 20 पूर्व सैनिक व 81 महिलाओं के पद थे। 17 अगस्त 2021 को इसका परिणाम घोषित किया गया। जिसमें 143 महिलाओं को चयनित किया गया। चयन में असफल याचियों का कहना था कि महिलाओं के लिए 81
सीटें आरक्षित थीं, लेकिन 143 महिलाओं का चयन कर लिया गया। यह पुरुष अभ्यर्थियों के साथ मनमानी व भेदभावपूर्ण कार्य किया गया है। याचियों का कहना था कि शारीरिक दक्षता परीक्षण में पुरुष व महिला के मानक में भेदभाव किया गया है। सरकार की ओर से याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए। कोर्ट ने महिला पुरुष की शारीरिक क्षमता को देखते हुए दोनों को अलग वर्ग माना और कहा कि चयन मानक में भिन्नता रखना गलत नहीं है।