Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़After 75 years of death ossis of British Indian Army soldier flows in the Ganges

मौत के 75 साल बाद ब्रिटिश भारतीय सेना के सिपाही की अस्थियां गंगा में प्रवाहित

मौत के 75 साल बाद सात समुंदर पार इटली देश से दो शहीद जवानों की अस्थियां भारत में पहुंची जिनको विधिवत अस्थि विसर्जन कराया गया। सरकार और सेना से कुछ न मिलने पर भी अपने पूर्वजों की माटी मिलने से संतुष्ट...

मुलित त्यागी हापुड़ Fri, 7 June 2019 09:11 AM
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मौत के 75 साल बाद सात समुंदर पार इटली देश से दो शहीद जवानों की अस्थियां भारत में पहुंची जिनको विधिवत अस्थि विसर्जन कराया गया। सरकार और सेना से कुछ न मिलने पर भी अपने पूर्वजों की माटी मिलने से संतुष्ट है दोनों परिवार, आजादी से पहले ही योद्धा मिसिंग हो गए थे।

हरियाणा के झज्झर के गांव नौगांव निवासी - ने हिन्दुस्तान को जानकारी देते हुए बताया कि उनके चाचा हरि सिंह 1942 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भर्ती हुए थे जिसमें उनके पापा भी साथ में भर्ती हुए थे। उन्होंने बताया कि चाचा एफएफ रायफल्स में भर्ती हुए थे जिनको अंग्रेजों ने जर्मन से युद्ध होने पर इटली के लिए भेज दिया था। उन्होंने बताया कि चाचा साढ़े 17 साल के सेना में भर्ती हो गए थे जबकि 20 साल के होने पर 1944 में हुए इटली-जर्मनी युद्ध में मिसिंग हो गए थे। उन्होंने बताया कि पापा बताते थे कि 1947 में सेना का फ्रंट पाकिस्तान में चला गया था। जहां से सैनिकों का रिकॉर्ड कागज पर ग्रेनेजियर्स जबलपुर भेज दिया गया था। उन्होंने बताया कि हिसार के कालू राम तथा रोहतक के हरि सिंह मिसिंग दिखाकर रिकार्ड में अंकित कर दिए गए थे। लेकिन 1996 में इटली में मिट्टी में दबे कुछ कंकाल मिले थे जिन पर रिसर्च किया गया था तो पता चला था कि ये नोन यूरोपियन के कंकाल है और किसी एशिया के देश के हैं। 

उन्होंने बताया कि दोनों सरकारों में जब सैनिकों को लेकर जानकारी चलती रही तो पता चला कि भारत के दो सैनिक कालूराम और हरि सिंह इटली में 1944 में हुए युद्ध में एफएफ रायफल्स से गए थे जो मिसिंग दिखाए हुए थे। उन्होंने बताया कि 2012 में जिला सैनिक बोर्ड पर भर्ती के समय पर लिखाए गए पते पर जानकारी मांगी गई। जिसमें अगस्त 2018 को जिला सैनिक बोर्ड और मिलट्री (हिसार कैंट) के सैनिकों ने घर पर आकर पूरे परिवार की जानकारी लेते हुए आधार कार्ड आदि अपने साथ ले लिए थे। उन्होंने बताया कि जिसके बाद कंकालों में छोटे और बड़े के आधार पर कालूराम और हरिराम की शिनाख्त की गई। उन्होंने बताया कि भारत से एक सेना का दल इटली के लिए रवाना हो गया था जिन्होंने 3 जून को भारत पहुंचकर चाचा की अस्थियां परिवार वालों को सौंप दी है। उनका गुरुवार को ब्रजघाट में पहुंचकर अस्थियां विसर्जित की गई।

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