विदेशों से लौटे यात्रियों को होटल में क्वारंटाइन होने का बनाया जा रहा दवाब, डीएम से हुई शिकायत
विदेश से लौट रहे यात्रियों ने एयरपोर्ट पर व्यवस्था संभाल रहे कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि सरकारी विभागों के प्रतिनिधि उनके साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे। होटलों के प्रतिनिधि उनको...
विदेश से लौट रहे यात्रियों ने एयरपोर्ट पर व्यवस्था संभाल रहे कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि सरकारी विभागों के प्रतिनिधि उनके साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे। होटलों के प्रतिनिधि उनको होटल में क्वारंटाइन होने का विकल्प चुनने के लिए दबाव भी बना रहे हैं। इनमें से कुछ यात्रियों ने डीएम को शिकायती पत्र लिखकर एयरपोर्ट की व्यवस्था के बारे में बताया है।
कुछ दिन पहले कुवैत से जजीरा एयर की उड़ान से आए कई यात्री मोहनलालगंज स्थित राधास्वामी सत्संग व्यास में क्वारंटीन हैं। इनमें से एक कुवैत में ट्रांसपोर्ट के कारोबारी सलीम का आरोप है कि उन्हें अमौसी एयरपोर्ट पर प्रतिनिधियों ने घेर लिया। होटल में क्वारंटीन होने का दबाव बनाने लगे। कुवैत से ही आए पीलीभीत के दिलबाग सिंह ने भी आरोप लगाया कि एयरपोर्ट पर पानी, चाय कुछ नहीं मिला। हमसे कहा गया कि टैक्सी दे रहे हैं इसे लेकर घर चले जाओ, 12 हजार रुपए किराया है। पैसे कम होने पर अफसरों ने घर पर जाकर देने का दबाव बनाया। अंतत: उनकी कोई अपील नहीं सुनी गई और उन्हें क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया।
किराया लेकर टैक्सी से क्वारंटाइन सेंटर भेजने का आरोप
इन यात्रियों का आरोप है कि एयरपोर्ट पर उनसे कहा गया कि टैक्सी लेकर क्वारंटीन सेंटर जाएं। मोहनलालगंज तक टैक्सी चालक ने 700 रुपए प्रति यात्री वसूले। यह भी आरोप है कि एक यात्री जिसको लेने उनका रिश्तेदार आया था उसे भी टैक्सी से ही भेजने का दबाव बनाया गया।
10 यात्रियों पर भी बस से भेज रहे
जिला प्रशासन की ओर से एयरपोर्ट के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर अजय त्रिपाठी ने बताया कि सिर्फ लखनऊ के लोगों को यहां क्वारंटीन किया जा रहा है। बाहर के लोगों को 10 की संख्या पर भी बस से उनके जिले भेज रहे हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुविधा के लिए होटल का विकल्प है। इसके लिए कोई दबाव नहीं है। किसी ने आरोप लगाया तो गलत है। वहीं, एसडीएम सरोजनीनगर प्रफुल्ल त्रिपाठी ने बताया कि बस के लिए यूपीएसआरटीसी को 60 से 65 हजार रुपए किराया देना होता है। जब किसी जिले का एक ही यात्री होता है तो बस से भेजना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उसको क्वारंटीन सेंटर भेजना मजदूरी है। प्रशासन का यह भी कहना है कि अब तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी चल गया है। ऐसे में वे जहां जाना चाहते हैं जा सकते हैं।