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पूर्व मंत्री अमरमण‍ि की हो सकती है रिहाई? गोरखपुर जेल में बंद 51 कैदियों को है ये उम्‍मीद

पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्‍नी मधुमणि सहित 51 कैदियों को रिहाई मिलने की उम्‍मीद मिल गई है। ये कैदी उम्रदराज हैं अथवा 14 साल की सजा काट चुके हैं। इनकी सूची गोरखपुर जेल प्रशासन ने...

Ajay Singh वरिष्‍ठ संवाददाता , गोरखपुर Tue, 15 March 2022 02:13 PM
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पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्‍नी मधुमणि सहित 51 कैदियों को रिहाई मिलने की उम्‍मीद मिल गई है। ये कैदी उम्रदराज हैं अथवा 14 साल की सजा काट चुके हैं। इनकी सूची गोरखपुर जेल प्रशासन ने शासन को भेजी है।

दरअसल, यूपी की जेलों में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक सात हजार से ज्यादा ऐसे कैदी हैं, जो दस वर्ष से ज्यादा समय से जेलों में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान आदेश दिया है कि जो कैदी 14 साल की सजा पूरी कर चुके हैं और जो बुजुर्ग 10 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, उनकी सूची तैयार कराएं। साथ ही उनके मामले में त्वरित रिहाई पर विचार करते हुए राज्य प्रिजन रिलीज कमेटी को भेजें। गोरखपुर जेल प्रशासन ने अपने यहां बंद ऐसे 51 कैदियों की पहचान कर शासन को उनकी सूची भेज दी है। इस सूची में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि का नाम भी शामिल है। जेल सूत्रों के मुताबिक अमरणमणि करीब 18 साल से सजा काट रहे हैं।

यूपी सरकार को कमेटी बनाने के निर्देश
इस मामले में जेल प्रशासन की भूमिका अहम है, क्योंकि उसे पता होता है कि किस कैदी ने कितनी सजा काट ली है और किसकी उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह 14 साल की सजा पूरी कर चुके और बुजुर्ग कैदियों की सूची तैयार कराए। साथ ही उनके मामले में त्वरित रिहाई के लिए राज्य प्रिजन रिलीज कमेटी को भेजे।

कोर्ट ने दिया है रिहाई पर विचार करने का आदेश

उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद ऐसे कैदी जिन्होंने अपनी सजा के 14 वर्ष पूरे कर चुके हैं या जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में कैदियों की भरमार और उनकी सुनवाई न होने को देखते हुए यूपी सरकार को इनकी रिहाई पर विचार करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार दंड विराम (धारा 433 ए के तहत) कमेटी बनाकर ऐसे मामलों को स्वत: विचार के लिए ले। कोर्ट ने यह निर्देश स्वत: संज्ञान पर लिए गए मामले में दिया।

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