वाराणसी संविवि में 37 शास्त्र-64 कला की पढ़ाई, अमेरिका संग 7 देश में ऑनलाइन एडवांस स्टडी सेंटर
विश्वविद्यालय ने इस क्रम में अमेरिका सहित दुनिया के सात देशों में अपना ऑनलाइन एडवांस स्टडी सेंटर खोलने, 37 शास्त्रों और 64 कलाओं के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स आरंभ करने का भी लक्ष्य रखा है।
वाराणसी की संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने अगले एक दशक का विजन लगभग तैयार कर लिया है। विश्वविद्यालय ने इस क्रम में अमेरिका सहित दुनिया के सात देशों में अपना ऑनलाइन एडवांस स्टडी सेंटर खोलने, 37 शास्त्रों और 64 कलाओं के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स आरंभ करने का भी लक्ष्य रखा है।
यह जानकारी कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय के 40वें दीक्षांत की पूर्वसंध्या पर शुक्रवार को पत्रकार सम्मेलन में दी।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि कुछ समय पूर्व शासन ने सभी विश्वविद्यालयों को अगले दस साल का विजन तैयार करने का निर्देश दिया था। इस क्रम में संविवि के विद्वानों ने पूरा खाका तैयार किया। भावी कार्ययोजनाओं में विश्वविद्यालय के परीक्षा एवं संबद्धता विभाग को डिजिटल किया जाएगा। इससे पहले पूरे परिसर को वाई-फाई सुविधा से युक्त किया जाएगा। संस्कृत शास्त्र और साहित्य से संबंधित ढाई लाख पुस्तकों और 95 हजार पांडुलिपियों का भी डिजिटलाइजेशन किया जाना है।
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आज दो बजे से होगा दीक्षांत
कुलपति ने दीक्षांत के बारे में बताया कि 31 दिसंबर को ऐतिहासिक मुख्य भवन में दोपहर दो बजे से कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता एवं सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे के मुख्य आतिथ्य में होगा। समारोह में 14702 डिग्रियों का वितरण होगा। इनमें 9774 छात्र और 4928 छात्राएं शामिल हैं।
अभिषेक को मिलेंगे आठ स्वर्ण सहित नौ पदक
नव्य व्याकरण विषय से आचार्य करने वाले अभिषेक शुक्ल को सर्वाधिक नौ पदक मिलेंगे। इनमें आठ स्वर्ण और एक रजत पदक शामिल हैं। आठ स्वर्ण पदकों में डा. गंगानाथ झा, रिपन, चंद्रशेखर शास्त्री-बैकुंठ शास्त्री, महाराजा डॉ. विभूतिनारायण सिंह, पं. ब्रह्मदत्त द्विवेदी, महामंडलेश्वर पवहारी, विमल कुमार पोद्दार एवं महंत रामेश्वर पुरी स्मृति पदक शामिल हैं। सवाई माधोसिंह स्मृति रजत पदक भी उनके नाम हो गया है।
मुख्य अतिथि के बारे में
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 40वें दीक्षांत के मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा नागपुर में हुई। विद्यार्थी जीवन में वह भाषण, नाटक एवं खेल में सक्रिय हो गए थे। वह लॉन टेनिस के चैंपियन खिलाड़ी रहने के साथ अपने पारंपरिक परिधान और वन्यजीव संरक्षण के विशेष कार्यों के लिए जाने जाते हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में 21 वर्षों तक वकालत की। 18 नवंबर 2021 को वह भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश बने थे।