लखनऊ के सरकारी हॉस्पिटलों में मरीजों से वसूली, 3 घंटे में कार पार्किंग के लिए 20 रुपए
लखनऊ के मेडिकल संस्थानों में पार्किंग के नाम पर जमकर वसूली चल रही है। मरीजों से घंटों के हिसाब से वसूली हो रही है। हालात यह हैं कि तीन घंटे में कार पार्किंग के लिए मरीजों को 20 रुपये चुकाने पड़ रहे है
लखनऊ के मेडिकल संस्थानों में पार्किंग के नाम पर जमकर वसूली चल रही है। मरीजों से घंटों के हिसाब से वसूली हो रही है। हालात यह हैं कि तीन घंटे में कार पार्किंग के लिए मरीजों को 20 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। मोटरसाइकिल के लिए 10 रुपये। तीन घंटे स्टैंड में साइकिल खड़ी करने पर पांच रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।
लोहिया, केजीएमयू और पीजीआई में पार्किंग शुल्क के नियम भी अलग हैं। लोहिया संस्थान में तीन घंटे कार खड़ी करने पर 20 रुपये वसूले जा रहे हैं। मोटरसाइकिल 10 और साइकिल के पांच रुपये प्रति तीन घंटे के हिसाब से लिए जा रहे हैं। इससे ज्यादा देर गाड़ी खड़ी करने के एवज में अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। ओपीडी में एक मरीज को कम से कम चार से पांच घंटे दिखाने व जांच करने में लगते हैं। वहीं सिर्फ रिपोर्ट लेने में एक से डेढ़ घंटे। पर, मरीजों को पूरी कीमत चुकानी पड़ रही है। पार्किंग में रोजाना 1300 से अधिक दो व चार पहिया वाहन आ रहे हैं।
केजीएमयू में दो पहिया वाहन 12 घंटे खड़ी रखने पर 30 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। 24 घंटे वाहन स्टैंड पर लगाने के लिए मरीजों को 50 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। जबकि 12 घंटे चार पहिया वाहन स्टैंड पर लगाने पर 60 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। 24 घंटे चार पहिया वाहन खड़ी करने के एवज में 100 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। यही हाल पीजीआई का है। यहां रोजाना तीन से चार हजार दो पहिया व चार पहिया वाहन आ रहे हैं। बहुत से मरीजों का इलाज कई दिनों तक चलता है। दूर दराज से आने वाले मरीज चार से पांच दिन तक गाड़ी स्टैंड में लगाए रखते हैं। ऐसे में पार्किंग का लंबा चौड़ा बिल चुकाना पड़ता है।
डफरिन में इलाज मुफ्त, पार्किंग 30 रुपए
शहर का इकलौता सरकारी डफरिन अस्पताल है जिसके सामने सड़क पर पार्किंग संचालित हो रही है। आरोप हैं कि जिम्मेदारों ने सड़क का भी सौदा कर डाला। यहां भी पार्किंग चल रही है। सड़क के दोनों छोर पर बेतरतीब गाड़ियां खड़ी कराई जा रही है। जो जाम का सबब बन गया है। साइकिल का 10, मोटरसाइकिल का 20 और कार का 30 रुपये वसूला जा रहा है। जबकि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है।
सड़क का किया सौदा
निजी अस्पताल ने सरकारी सड़क को स्टैंड में तब्दील कर दिया है। आईटी चौराहा निकट दो बड़े अस्पतालों का स्टैंड सड़क के किनारे चल रहा है। इसमें भी मरीजों से घंटों के हिसाब से शुल्क वसूला जा रहा है। बेबस मरीज महंगा इलाज संग पार्किंग पर भी पैसे खर्च करने को मजबूर हैं। अवैध रूप से पार्किंग संचालित करने वालों पर अफसर शिकंजा नहीं कस रहे हैं। लखनऊ में 1200 निजी पंजीकृत अस्पताल चल रहे हैं। 90 फीसदी निजी अस्पतालों में पार्किंग के इंतजाम नहीं है। सड़क पर गाड़ियां पार्क कराई जा रही है। जिसके नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। सरकारी अस्पतालों में पार्किंग मुफ्त है।