Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़17 research scholars ddu got blessings of new vice chancellor action returned after two a quarter years

डीडीयू के 17 रिसर्च स्‍कॉलर्स को मिला नई कुलपति का आशीर्वाद, पौने दो साल बाद कार्रवाई वापस 

डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पूर्व कुलपति प्रो. राजेश सिंह के एक फैसले को खारिज कर दिया है। जनवरी 2021 में 17 शोधार्थियों के खिलाफ की गई सभी कार्रवाई को डीडीयू प्रशासन ने वापस ले लिया है।

Ajay Singh हिंदुस्‍तान, गोरखपुरWed, 11 Oct 2023 06:44 AM
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DDU withdrew action from 17 students: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सत्र 2019-20 के प्री पीएचडी के छात्र-छात्राओं के हित में कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पूर्व कुलपति प्रो. राजेश सिंह के एक फैसले को खारिज कर दिया है। जनवरी 2021 में 17 शोधार्थियों के खिलाफ की गई सभी कार्रवाई को डीडीयू प्रशासन ने वापस ले लिया है। इसके साथ ही चार साल से उनके कोर्स को लेकर चल रही ऊहापोह की स्थिति भी समाप्त हो गई है।

डीडीयू में सत्र 2019-20 के प्री पीएचडी के छात्र-छात्राओं का छह महीने का कोर्स पूरा करने में डीडीयू प्रशासन को करीब दो साल लग गए थे। छात्रों के लंबे संघर्ष के बाद 10 जनवरी 2022 को दो पाली में उनकी परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया था। निर्धारित मानक के विपरीत प्रश्न पत्र आने का आरोप लगाते हुए कई छात्र-छात्राओं ने हंगामा खड़ा कर दिया था। डीडीयू प्रशासन ने कुल 17 विद्यार्थियों को नामजद करते हुए उनके खिलाफ कैंट थाने में गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था।

इसके बाद शोधार्थी हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली ही, कैंट पुलिस ने भी इस मामले में करीब छह महीने पहले एफआर लगा दिया था। लेकिन उसके बाद भी डीडीयू प्रशासन ने उन शोधार्थियों पर की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई वापस नहीं ली। वर्तमान कुलपति प्रो. पूनम टंडन के संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने इसे प्राथमिकता के रूप में लिया। नतीजा सुखद रहा।

ये विद्यार्थी बनाए गए थे आरोपी
मंदीप राय, कमलकांत राव, राधा विश्वकर्मा, अन्नू जायसवाल, कृतिका सिंह, राम भरोसा तिवारी, राजन दूबे, अमन यादव, सुधीर मद्धेशिया, अंजली पाण्डेय, राजन विश्वकर्मा, प्रशांत मौर्या, आनंद मिश्र, श्वेता पाण्डेय, दीप्ति, अर्चना, प्रियंका।

कोरोना महामारी और डीडीयू की लापरवाही रही जिम्मेदार
इस मामले में कोरोना महामारी के कारण छात्रों का छह महीने होने वाली परीक्षा पूरी नहीं हो सकी थी। बाद में डीडीयू प्रशासन इसे लेकर पूरी तरह लापरवाह दिखा। इसे लेकर छात्रों को करीब एक महीने तक लगातार अनशन करना पड़ा था। छात्रों की जायज मांगों पर विवि प्रशासन ने उनकी प्री पीएचडी की परीक्षा तो कराई लेकिन उसके प्रश्न पत्र पर सवाल खड़े हो गए।

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