आज खुलेंगे मेरठ कबाड़ी बाजार के 15 कोठे, देह व्यापार के लिए था बदनाम, शर्तों के साथ मिली अनुमति
मेरठ कबाड़ी बाजार के 15 कोठे आज खुलेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 2019 से सील कबाड़ी बाजार के ‘कोठों’ की सील गुरुवार को खोल दी जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 2019 से सील कबाड़ी बाजार के ‘कोठों’ की सील गुरुवार को खोल दी जाएगी। हाईकोर्ट के आदेश पर भवन मालिकों ने अनैतिक कार्य अथवा देह व्यापार आदि का संचालन नहीं होने का शपथ पत्र दिया है। शपथ पत्र के आधार पर और उद्धार अधिकारी की रिपोर्ट पर सिटी मजिस्ट्रेट राहुल विश्वकर्मा ने कबाड़ी बाजार के 15 कमरों की सील खोलने का आदेश दिया है।
वर्ष 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर कबाड़ी बाजार के 57 कोठे बंद कराकर 400 सेक्स वर्कर को वहां से हटाया गया था। हाईकोर्ट ने यह कार्रवाई अधिवक्ता सुनील चौधरी की जनहित याचिका पर की थी। 2019 में हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीएम, एसएसपी व सीएमओ को तलब कर सेक्स वर्कर के कोठे बंद कराने के आदेश दिए थे। तब से यह सारे कोठे बंद थे। 2021 में इन कोठों में से भवन संख्या 504 के भवन स्वामी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वहां व्यापारियों की दुकानें थीं, जो कोठों की चपेट में आकर सील हो गईं। तब हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन एसीएम संदीप कमार श्रीवास्तव ने 504 नंबर भवन को खोलने की अनुमति दी थी।
इस बीच कबाड़ी बाजार के अन्य भवन स्वामियों ने भी कोठों की सीलिंग की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने चुनौती दी। उन्होंने कहा कि भवन सील होने से उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस, प्रशासन और संबंधित विभागों से रिपोर्ट के आधार पर खोलने का आदेश दिया था।
भवनों में खुलेंगी दुकानें
मेरठ में कभी रेड लाइट एरिया के नाम से बदनाम कबाड़ी बाजार के 58 भवनों में से 15 में अब किराना और कॉस्मेटिक्स आदि की दुकानें खुल सकती हैं। मकान मालिकों ने प्रशासन से सील खोलने की अनुमति प्राप्त की है। भवन मालिकों ने बाकायदा शपथ पत्र दिया है कि वे अपने भवन को किसी प्रकार के अनैतिक कार्य के लिए किराये पर नहीं देंगे। प्रार्थनापत्र, शपथ पत्र आने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने सशर्त अनुमति प्रदान की है।
एक साल के लिए ही किया गया था सील
सिटी मजिस्ट्रेट राहुल विश्वकर्मा के अनुसार 2019 में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट संजय पांडे ने हाईकोर्ट के आदेश पर एक साल के लिए ही सीलिंग की कार्रवाई की थी। इन भवनों के मालिकों का तर्क दिया गया कि नियमानुसार तीन साल से ज्यादा सील नहीं किया जा सकता है। इस आधार पर ही हाईकोर्ट ने सीलिंग की कार्रवाई से भवन स्वामियों को राहत दी।