जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सपा को साइकिल मिली नहीं, लैपटॉप के साथ अखिलेश के चेहरे पर भरोसा
लोकसभा चुनाव में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी जम्मू-कश्मीर के चुनावी मैदान में उतरी है। हालांकि राष्ट्रीय पार्टी नहीं होने के कारण उसे अपना पारंपरिक चुनाव निशान साइकिल यहां नहीं मिल सका है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया है। लोकसभा चुनाव में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी जम्मू-कश्मीर के चुनावी मैदान में उतरी है। हालांकि राष्ट्रीय पार्टी नहीं होने के कारण उसे अपना पारंपरिक चुनाव निशान साइकिल यहां नहीं मिल सका है। ऐसे में सपा के प्रत्याशियों ने लैपटॉप को अपना चुनाव चिह्न बनाया है। प्रत्याशियों को इसी लैपटॉप और अखिलेश यादव के चेहरे पर भरोसा है।
लोकसभा चुनाव में मिली भारी सफलता के बाद खुद को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की मुहिम में जुटी सपा यहां दूसरे चरण और तीसरे चरण में 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होने वाले चुनावों में 20 विधानसभा सीटों पर मैदान में दिखाई देगी। सपा के उम्मीदवारों ने लैपटॉप को चुनाव चिह्न चुना है। एक दशक पहले जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश के नेतृत्व वाली सपा सरकार सत्ता में आई थी तब लैपटॉप सुर्खियों में था। अखिलेश यादव ने छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वादा किया था। सत्ता में आने पर 27 लाख से ज्यादा लैपटॉप बांटे भी थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में जब सपा की सीटें 22 से घटकर पांच हो गईं तो योजना बंद हो गई थी।
जम्मू-कश्मीर के चुनावी मैदान में उतरे सपा के अधिकांश उम्मीदवार सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सपा संरक्षक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उम्मीदवार घर-घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि वे समाजवादी पार्टी से हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर चुनाव में पार्टी का चुनाव चिन्ह अलग है। समाजवादी पार्टी को लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद अखिलेश यादव का चेहरा लोगों को आकर्षित कर रहा है। यही कारण है कि सपा देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
फोन पर बात करते हुए सपा पैनलिस्ट और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की बागडोर संभाल रहे डॉ अजीज खान ने कहा कि दूसरे चरण में हम कश्मीर डिवीजन में पांच सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। तीसरे में चरण हम कश्मीर में 10 और जम्मू संभाग में पांच सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। कहा कि चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण है लेकिन अधिक महत्वपूर्ण हमारी पार्टी का चेहरा अखिलेश यादव हैं। जम्मू-कश्मीर में लोग वास्तव में अखिलेश जी को पसंद करते हैं। लोग समाजवादी पार्टी पर करीब से नजर रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों का झुकाव समाजवादी पार्टी की ओर है। हम लोगों तक यह बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी जम्मू-कश्मीर में अलग चुनाव चिह्न (लैपटॉप) पर चुनाव लड़ रही है। कार्यकर्ता लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं। लोग अखिलेश यादव के नाम पर वोट करने के इच्छुक हैं। सोशल मीडिया पर भी हमारे उम्मीदवारों द्वारा अखिलेश और नेता जी मुलायम सिंह यादव की तस्वीरों का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
चुनाव चिह्न के रूप में लैपटॉप के आवंटन पर खान ने कहा कि शुरुआत में हम साइकिल चाहते थे जो समाजवादी पार्टी का पारंपरिक प्रतीक है, लेकिन दुर्भाग्य से यह हमें आवंटित नहीं किया गया। उम्मीदवारों को तीन से चार चिह्नों का विकल्प दिया गया था। जिनमें से अधिकांश ने लैपटॉप का चुनाव चिन्ह चुना है।
कहा कि जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए कोई गठबंधन नहीं था, हम स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। अगर आप हरियाणा में भी देखें तो आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इंडिया गठबंधन के सहयोगी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। सभी के अपने-अपने मुद्दे हैं। हमारा गठबंधन राज्य स्तर पर है। हालांकि, हमारे बीच कोई संघर्ष नहीं है। हम सभी सिर्फ एक चीज चाहते हैं और वह है भाजपा को हराना। इसके अलावा लोग यहां जम्मू-कश्मीर में जीतने वाले उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं।
अजीज खान ने कहा कि हम तीसरे चरण में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके कार्यक्रम के लिए बुलाने की योजना बना रहे हैं। जल्द ही चीजों को अंतिम रूप दिया जाएगा। संभावना है कि तीसरे चरण के लिए अखिलेश जी यहां आएंगे।
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने 2008 और 2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव भी लड़े थे। हालांकि छाप छोड़ने में सपा विफल रही थी। 2008 में सपा ने जम्मू-कश्मीर में 36 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 24,194 वोट मिले थे। जो वोट शेयर का 0.61% था। 2014 में सपा ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 0.10% वोट शेयर के साथ 4985 वोट हासिल किए थे।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें हैं। कश्मीर में 47 और जम्मू संभाग में 43 सीटें हैं। इनमें से नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। तीन चरणों में मतदान के बाद 8 अक्टूबर को चुनाव नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 87.09 लाख मतदाता हैं। इन मतदाताओं में से 42.6 लाख महिलाएं हैं। 3.71 लाख पहली बार मतदाता बने हैं। 20 से 29 वर्ष की आयु वर्ग के कुल 20.7 लाख मतदाता हैं।