संभल हिंसा को लेकर सपा का ऐलान, मृतकों के परिवार वालों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देगी
- संभल हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी ने बड़ा ऐलान किया है। सपा ने संभल हिंसा में मारे गए मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
संभल हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी ने बड़ा ऐलान किया है। सपा ने संभल हिंसा में मारे गए मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके अलावा यूपी सरकार 25-25 लाख रुपये का मुआवजा यूपी सरकार देने की मांग की गई है। सपा ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी। सपा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, संभल में हुई हिंसा में भाजपा सरकार और प्रशासन की नाकामी से अपनी जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को समाजवादी पार्टी पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। यूपी सरकार मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दे।
सपा प्रतिनिधि मंडल को संभल जाने से रोका
समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था। मुजफ्फरनगर से सपा सांसद हरेन्द्र मलिक को गाजियाबाद से संभल आने से रोक दिया गया। मलिक ने कहा, मेरे समझ में यह नहीं आता कि हमें क्यों रोका जा रहा है। क्या विपक्ष के नेता, सांसद इतने गैर जिम्मेदार हैं कि उन्हें राज्य के भीतर घूमने नहीं दिया जा सकता। वहीं, मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा के आवास को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है जिससे उन्हें संभल जाने से रोका जा सके। मलिक ने कहा, “हमारे प्रतिनिधिमंडल में संभल से सपा सांसद जिया-उर-हमान बर्क और कैराना से लोकसभा सदस्य इकरा हसन भी शामिल हैं। हम क्या कर सकते हैं। यह सरकार एक निरंकुश शासक की तरह काम कर रही है।” कोई भी संभल की तरफ ना जा सके, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा निगरानी बढ़ाए जाने से गाजियाबाद सीमा पर भारी जाम लग गया। हरेंद्र मलिक को गाजियाबाद में डिवाइडर पर बैठे देखा गया। मलिक ने कहा, “मैं इस हिंसा से प्रभावित लोगों को सांत्वना देने के लिए संभल जाना चाहूंगा। लेकिन यह सरकार सभी चीजों पर अंकुश लगा रही है।
संभल के पूरे प्रशासनिक अमले को सस्पेंड कर देना चाहिए : अखिलेश
संभल में सपा के प्रतिनिधि मंडल के रोके जाने पर अखिलेश यादव ने भाजपा पर गुस्सा निकाली। अखिलेश ने अपनी पोस्ट में कहा कि भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही उसे संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक अमले को निलंबित कर देना चाहिए तथा उन पर 'साजिशन लापरवाही' का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए। समाजवादी पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर बनाए गए सपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस लगाकर उन्हें संभल जाने से रोकने की घटना, घोर निंदनीय एवं अलोकतांत्रिक है। भाजपा सरकार संभल हिंसा का सच छिपा रही है। सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति मिले। इस बीच, माता प्रसाद पांडेय ने लखनऊ में अपने आवास के बाहर संवाददाताओं को बताया, गृह सचिव संजय प्रसाद ने मुझे फोन कर संभल नहीं जाने का अनुरोध किया था। संभल के जिलाधिकारी ने भी मुझे फोन कर बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक 10 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है। इसलिए मैं अब पार्टी कार्यालय जाऊंगा और इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा।
संभल में 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक
संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा की अवधि भी एक दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है। यहां जारी एक बयान में जिलाधिकारी राजेंद्र पेसीया ने कहा, कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। जिलाधिकारी ने यह भी कहा, कोई भी व्यक्ति यदि सोशल मीडिया पर किसी समूह में अफवाह फैलाने का प्रयास करता है तो 'ग्रुप एडमिन' उक्त पोस्ट हटाकर तत्काल इसकी सूचना पुलिस को देगा। जिले में साइबर कैफे एक रजिस्टर रखेंगे जिसमें प्रत्येक ग्राहक के नाम लिखे जाएंगे। संभल में कोई भी सार्वजनिक स्थल पर पुतला नहीं फूंकेगा।