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शासन, प्रबंधन व बिजली कर्मियों की वार्ता विफल

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण पर ऊर्जा निगम प्रबन्धन के हठवादी रवैये के चलते अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा), उप्र शासन व अध्यक्ष, पावर कारपोरेशन अरविंद कुमार एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष...

Newswrap हिन्दुस्तान, सोनभद्रSun, 4 Oct 2020 10:12 PM
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पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण पर ऊर्जा निगम प्रबन्धन के हठवादी रवैये के चलते अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा), उप्र शासन व अध्यक्ष, पावर कारपोरेशन अरविंद कुमार एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष प्रतिनिधियों के मध्य शक्ति भवन में कई चरणों में हुई वार्ता बेनतीजा रही। संघर्ष समिति ने एक बार पुन: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की अपील की है जिससे ऊर्जा क्षेत्र में टकराव की स्थिति समाप्त हो सके एवं बिजलीकर्मी पूर्ववत् निष्ठापूर्वक निर्बाध विद्युत आपूर्ति के कार्य में जुटे रह सके।

इं अदालत वर्मा ने बताया कि लखनऊ में हुई वार्ता के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने पांच अप्रैल 2018 को ऊर्जा मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए लिखित समझौते में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उप्र में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नही किया जायेगा का पालन करते हुये पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि समझौते के अनुसार प्रबन्धन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही सरकार को करना चाहिए। इस दौरान संघर्ष समिति ने पुन: प्रस्ताव दिया कि समझौते के अनुसार निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त कर सुधार की कार्य योजना बनाई जाय जिसके लिए बिजली कर्मी संकल्पबद्ध है। संघर्ष समिति के सुधार संकल्प के बावजूद ऊर्जा निगम प्रबन्धन निजीकरण पर अड़ा रहा एवं निजीकरण करने के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग को अस्वीकार कर दिया, जिससे वार्ता बेनतीजा रही। वार्ता के दौरान प्रबन्धन की ओर से अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) अरविंद कुमार, प्रबन्ध निदेशक पाकालि एम देवराज, प्रबन्ध निदेशक उत्पादन निगम सेन्थिल पांडियन सी एवं संघर्ष समिति की ओर से इं शैलेन्द्र दुबे, इं एके सिंह, इं वीपी सिंह, इं प्रभात सिंह, इं जीबी पटेल, इं जय प्रकाश, पीएन तिवारी, महेन्द्र राय, सदरुदृदीन राना, शशिकान्त श्रीवास्तव, विनय शुक्ला, सुहैल आबिद, डीके मिश्रा, परशुराम, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, आरके सिंह, हसमत, राकेश कपिल मुनि, सुनील प्रकाश पाल, वीसी उपाध्याय, राजेन्द्र आदि मौजूद रहे।

बाहरी एजेंसियों को चार्ज दिया तो होंगे गंभीर परिणाम

ओबरा। हिन्दुस्तान संवाद

कार्य वहिष्कार को सफल बनाने की रणनीति बनाने के लिए रविवार को संघर्ष समिति ओबरा शाखा की आपात बैठक विद्युत् मजदूर संघ कार्यालय पर हुई। इस दौरान बिजली का ग्रिड फेल न हो और लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए बिजली उत्पादन गृहों, विद्युत उपकेन्द्र और प्रणाली नियंत्रण में पाली में काम करने वाले कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार से अलग रखे जाने का निर्णय लिया गया। चेतावनी दी कि बाहरी एजेंसियों को बिजली कर्मियों का चार्ज दिया तो गंभीर परिणाम होंगे।

पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के विघटन, निजीकरण व अन्य संस्थानों को हैण्डओवर किये जाने के प्रस्ताव के विरोध में बिजली कर्मी विगत एक सितम्बर से शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन चला रहे हैं, किन्तु प्रबन्धन ने समस्या के समाधान के जिलए सार्थक प्रयास न कर शांतिपूर्ण आंदोलन को हड़ताल बताकर सरकार को गुमराह कर रहें है और बिजली कर्मचारियों पर हड़ताल थोपने का कार्य कर रहे है। उन्होने बताया कि संघर्ष समिति के निर्देश पर बिजलीकर्मी 5 अक्टूबर से पूरे दिन का कार्य बहिष्कार किया जायेगा। कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली का ग्रिड फेल न हो और आम नागरिको को तकलीफ न हो इस हेतु बिजली उत्पादन गृहों, 765/400 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र और प्रणाली नियंत्रण में पाली में काम करने वाले कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार से अलग रखा गया है। पावर कारपोरेशन प्रबन्धन शांतिपूर्ण आंदोलन को हड़ताल बता कर दमनात्मक कार्यवाही कर प्रदेश सरकार को गुमराह कर रहा है जिससे ऊर्जा निगमों में अनावश्यक टकराव का वातावरण एवं औद्योगिक आशांति उत्पन्न हो रही है। संघर्ष समिति ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने पावर ग्रिड कारपोरेशन, एनटीपीसी, प्रशासनिक अधिकारियों तथा लेखपालों आदि को तमाम बिजलीघरों और संस्थानों का चार्ज देने के निर्देश दिये गये है, जो पूरी तरह असंवैधानिक और आवांछित है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि शांतिपूर्ण कार्यरत बिजली कर्मचारियों का चार्ज यदि बाहरी एजेन्सियों और प्रशासनिक/अन्य अधिकारियों को सौंपने की कोशिश की गयी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।

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