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श्रीराम की बाल लीला देख सभी हुए अभिभूत

Sonbhadra News - स्थानीय कस्बे में चल रहे श्रीरामलीला मंचन में प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं का बड़ा ही मार्मिक मंचन किया गया। प्रभु श्रीराम की बाल लीला की कथा का वर्णन करते हए व्यास जी ने कहा कि भगवान की बाल लीला का...

Newswrap हिन्दुस्तान, सोनभद्रSun, 29 Sep 2019 09:39 PM
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स्थानीय कस्बे में चल रहे श्रीरामलीला मंचन में प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं का बड़ा ही मार्मिक मंचन किया गया। प्रभु श्रीराम की बाल लीला की कथा का वर्णन करते हए व्यास जी ने कहा कि भगवान की बाल लीला का दर्शन तो उसे ही प्राप्त होता है जिस पर प्रभु की अनुकम्पा हो जाती है।

देवलोक से देवता भी दर्शन के लिए अयोध्या आते हैं लेकिन उन्हें प्रभु का दर्शन नही हो पाता। इस बात से परेशान देव गण महादेव के शरण मे जाते हैं। तब शिव जी ने कहा कि हे देवताओं आप अपने देवत्व का अभिमान त्याग कर अयोध्या जाइये तभी आपको प्रभु श्रीराम का दर्शन मिलेगा। जो प्राणी किसी मद में होकर प्रभु के दर्शन को जाता है उसे दर्शन का सौभाग्य कभी नही मिलता। इधर अयोध्या में प्रभु अपनी बाल लीला के मर्यादा व श्रेष्ठ कर्तव्यों से अपने माता पिता गुरुदेव को असीम आनन्द प्रदान कर रहे हैं। समय व्यतीत हो रहा था पिता दशरथ जी को अपने बालको को गुरुकुल की शिक्षा की बात मस्तिष्क में आई तो राजा दशरथ ने इस बात को गुरुदेव वशिष्ठ जी से बतायी। गुरुदेव ने चारों बालकों की शिक्षा हेतु उत्तम प्रबन्ध का आश्वासन राजा दशरथ को दिया। रामलीला के पूज्य व्यासजी ने प्रभु के बाल्यकाल और ताड़का बध की सुंदर लीलाओं के प्रसंग को बड़े ही रोचक ढंग से सभी को श्रवण कराया। श्रीरामलला की आरती के पश्चात आज की लीला का सूक्ष्म विश्राम हुआ। वहीं बभनी में ग्रामीण नव युवक रामलीला समिति के कुशल नेतृत्व में आयोजित श्रीरामलीला मंचन में दूसरे दिन प्रभु श्रीराम के जन्म की लीला का बडे ही धूमधाम से मंचन किया गया। लीला का दर्शन करके सभी दर्शक भाव विभोर हो गये। सभी दर्शकों ने सर्वप्रथम भगवान के विशाल चर्तुभुज के रूप में दर्शन किया। इसके बाद भगवान के बाल रुप का दर्शन किया। प्रभु श्रीराम, लक्षमण, भरत तथा शत्रुघन के जन्म लेते ही पूरा अयोध्या जगमगा गया। चारो तरफ शहनाई, मंगल गीत और सोहर गीत से गुंजायमान हो गया। रामलीला देखने के लिए भारी संख्या में दर्शकों की भींड लगी रही। व्यास लालकेश ने बडे ही सरलता और मृतलता के साथ रामायण की चौपाईयों का उच्चारण कर सफल मंचन कराया। रामलीला को संचालित कराने में प्रबंधक मेंहीलाल, बद्रीप्रसाद, कृष्ण कुमार,सचिन शर्मा, राजेंद्र प्रसाद, प्रदीप कुमार, मुकेश कुमार,ब्रहमानंद का विशेष सहयोग रहा।

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