Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Some deputy was distributing appreciation certificates even after the defeat, Keshav Maurya again on Akhilesh s target

कोई 'उप' हार के बाद भी प्रशंसा प्रमाण पत्र बांट रहा, अखिलेश के निशाने पर फिर केशव मौर्य, योगी की तारीफ पर कसा तंज

  • केशव मौर्य ने रविवार को सीएम योगी की खुलेमंच से तारीफ की तो एक बार फिर अखिलेश के निशाने पर आ गए। अखिलेश ने एक्स पर ही केशव मौर्य पर तंज कसा है। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव और सिराथू में मिली हार की याद भी दिला दी है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 Aug 2024 03:10 PM
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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद से सपा और भाजपा के बीच वार-पलटवार का दौर तेज हो चुका है। खासकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वाकयुद्ध चल रहा है। केशव मौर्य ने रविवार को सीएम योगी की खुलेमंच से तारीफ की तो एक बार फिर अखिलेश के निशाने पर आ गए। अखिलेश ने एक्स पर ही केशव मौर्य पर तंज कसा है। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव और सिराथू में मिली हार की याद भी दिला दी है। अखिलेश ने केशव मौर्य का बिना नाम लिए कहा कि कोई ‘उप’ डबल हार के ‘उपहार’ के बाद भी डबल इंजन का प्रशंसा-प्रमाणपत्र बांट रहे हैं।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को मिर्जापुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी। योगी को देश का बेस्ट सीएम कहा था। इसी को लेकर अखिलेश ने लिखा कि कोई ‘उप’ डबल हार के ‘उपहार’ के बाद भी डबल इंजन का प्रशंसा-प्रमाणपत्र बांट रहे हैं। अगर माननीय सही काम कर रहे होते तो दो ‘उप मुख्यमंत्री’ की क्या ज़रूरत पड़ती। इसका मतलब या तो वो सही काम नहीं कर रहे हैं या फिर बाकी दो बेकाम हैं, नाकाम हैं, और उनका काम दरबारी चारण की तरह करना बस स्तुतिगान है। अगर उप सच में उपयोगी होते हैं, तो दिल्ली के मंडल में भी होने चाहिए थे, परंतु हैं नहीं! इसका जवाब देंगे ‘उप’ या रहेंगे ‘चुप’?

इससे पहले रविवार को 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर भी अखिलेश यादव ने केशव पर निशाना साधा था। केशव मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए पोस्ट लिखी थी। इसी पर अखिलेश ने कहा कि दर्द देनेवाले, दवा देने का दावा न करें! 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ का बयान भी साजिशाना है। पहले तो आरक्षण की हकमारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के ख़िलाफ़ लड़कर, लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ़ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गये।

दरअसल ये ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वो तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं। वो इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उँगली उठा रहे हैं, वो ‘माननीय’ भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं। शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत से उप्र कई साल पीछे चला गया है।

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