आगरा के सोल कारोबारी को जमीन खा गई या निगल गया आसमां, 6 महीने से नहीं चल रहा पता
- परिजनों की रातों की नींद उड़ी हुई है। हर दिन यही चिंता सताए जाती है कि वह किस हाल में होंगे। पुलिस की छानबीन से परिजन नाखुश हैं। पढ़ने की उम्र में बेटे के कंधों पर परिवार का बोझ आ गया है। परिवारीजनों का एक ही सवाल है आखिर वे क्या करें? कहां तलाश करें?
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Sole Trader Missing: आगरा के सूर्य नगर (हरीपर्वत) के रहने वाले युवा सोल कारोबारी आलोक टंडन (उम्र 49 वर्ष) 23 अगस्त 2024 से लापता हैं। छह महीने बीत गए। परिजनों की रातों की नींद उड़ी हुई है। हर दिन यही चिंता सताए जाती है कि वह किस हाल में होंगे। पुलिस की छानबीन से परिजन नाखुश हैं। पढ़ने की उम्र में बेटे के कंधों पर परिवार का बोझ आ गया है। परिजनों का एक ही सवाल है आखिर वे क्या करें। कहां तलाश करें। कैसे पता चलेगा कि उनके साथ क्या हुआ।
आलोक टंडन का स्कूटर कैलाश पुल (सिकंदरा) पर मिला था। स्कूटर का ताला बंद था। हेलमेट स्कूट पर टंगा हुआ था। पहले पुलिस ने उनके यमुना में कूदने की आशंका जताई थी। स्टीमर से दो दिन तलाश की गई। कोई सुराग नहीं मिलने पर पुलिस की तलाश बंद हो गई। पुलिस ने आस-पास के जिलों में पता नहीं किया। हरीपर्वत थाने में गुमशुदगी दर्ज है।
छह महीने बीत चुके हैं। पत्नी मधु टंडन, बेटा आदित्य (19), बेटी वैष्णवी और बेटा वेदांत रात को ठीक से सो नहीं पाते। जब भी किसी अनजान नंबर से फोन आता है पत्नी और बच्चों को यही लगता है कि शायद कोई सूचना आई है। आदित्य 12वीं का छात्र है। होनहार है। पढ़ाई की उम्र में पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई है। वह स्कूल भी जाता और पिता का कारोबार भी संभाल रहा है। हर दिन एक नई चुनौती परिवार के सामने आती हैं। परिजन बुरी तरह टूट चुके हैं।
कारोबारी पर नहीं है कोई कर्जा
मधु टंडन ने बताया कि पुलिस ने पहले यह तक कहा कि आलोक पर कर्जा हो गया था। यह बात गलत है। पति का कारोबार अच्छा चल रहा था। बाजार में उनकी देनदारी से ज्यादा लेनदारी थी। उनके परिवार पर हर दिन क्या बीत रही है पुलिस को उस दर्द का अहसास नहीं है।
पुलिस को पर्चे भी छपवाकर दिए
परिजनों ने पुलिस को पर्चे भी छपवाकर दिए थे। पुलिस ने कहां लगवाए। उन्हें नहीं पता। सोशल मीडिया पर बच्चे अपने स्तर से पोस्ट वायरल करते हैं। इस दौरान सूचना देने के नाम पर कुछ लोगों ने परिजनों को ठगने का प्रयास भी किया। एक व्यक्ति ने आलोक के हरिद्वार में देखे जाने की फर्जी सूचना तक दी। कारोबारी के परिजन चाहते हैं कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले। आस-पास के जिलों में आलोक के लापता होने संबंधी पर्चे चस्पा कराए जाएं। यमुना से सटे थाना क्षेत्रों में पुलिस यह पता लगाए कि अगस्त 2024 में कोई अज्ञात शव तो नहीं मिला था। कम से कम यह तो साफ हो कि आखिर हुआ क्या है।
ये दिक्कतें आती हैं सामने
-कोई लापता हो जाए तो सात साल तक पुलिस उसे जिंदा मानकर जांच करती है। सात साल बाद पुलिस तो यह मान लेती है कि लापता व्यक्ति की मौत हो चुकी है। ऐसी स्थिति में भी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनता है। कोई यह दावा करे कि लापता को देखा था तो जांच बंद नहीं होती।
- बीमा, बैंक, जमीन, जायदाद से संबंधित कार्रवाई और लिखापढ़ी के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र बहुत अहम होता है।
- बैंक खाता, एफडी, शेयर आदि में कोई नॉमिनी न हो तो भुगतान लटक जाता है। बैंक लॉकर में कोई नॉमिनी न हो तो उसे खुलवाने में परिजनों के जूते घिस जाते हैं।