Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़सीतापुरThe 39 ray of development 39 did not reach Sitapur-Pariya village

सीतापुर-पड़रिया गांव में नहीं पहुंची विकास की ‘किरण

हाल-ए-गांव मानपुर। हिन्दुस्तान संवाद कोविड-19 वैश्विक महामारी से पूरा देश त्राहिमान कर रहा...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरWed, 19 May 2021 03:04 AM
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हाल-ए-गांव

मानपुर। हिन्दुस्तान संवाद

कोविड-19 वैश्विक महामारी से पूरा देश त्राहिमान कर रहा है। संक्रमण अब शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में तेजी से पांव पसार रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदार साफ-सफाई, सेनेटाइजेशन पर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव के बाद गांवों में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है। मतदान के दिन बाहर रहने वाले लोग भी अपने-अपने प्रत्याशी को जिताने के बाद गांव आए थे, साथ ही लम्बी-लम्बी लाइनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाया, जिससे गांवों की स्थिति बदहाल हो रही है। गांवों में गंदगी, कूड़े के ढेर, चोक नालियां संक्रमण को बढ़ाने में सहायक साबित हो रही हैं। कुछ ऐसा ही हाल विकासखंड बिसवां के ग्राम पंचायत कटिया के मजरा पड़रिया का है। इस गांव का दुर्भाग्य ही कहें कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी कोई समुचित विकास नहीं हो पाया है। साफ सफाई के अभाव बजबजाती नालियां विकास की पोल खोल रही हैं। गांव में निकलने वाले रास्तों पर कीचड़ भरा रहता है। जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है। रास्ते के अभाव में लोग गांव के बाहर खेतों में छप्परछानी डाल कर किसी तरीके से गुजर कर रहे हैं। इस गांव की आबादी 700 के करीब है। इस गांव में 484 मतदाता हैं। यह गांव मानपुर से शिवथाना होकर बिसवां से सिधौली जाने वाले संजय गांधी मार्ग से गरीब 500 मीटर की दूरी पर स्थिति है। यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के समय प्रत्याशी बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई झांकने तक नहीं आता। जो प्रत्याशी चुनाव में पानी की तरह पैसा बहाते हैं, वोटरों से लोक लुभावन वादे करके उनका वोट खरीदते हैं, वह क्यां गांव का करेंगे? वो तो जीतने के बाद पहले अपनी जेब भरेंगे। ग्रामीणों का कहना कि यहां अभी तक एक बार भी सेनेटाइजेशन नहीं कराया गया है और न ही मच्छररोधी दवा का छिड़काव हुआ। शाम होते ही मच्छरों के प्रकोप से बैठना दुश्वार हो जाता है।

गांव के अंदर रास्ते का अभाव:

शासन द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव-गांव शौचालय, प्रधानमंत्री आवास आदि की योजनाएं चलाई गई, लेकिन इस गांव में एक भी शौचालय नहीं बनवाया गया है। पहले से जो शौचालय बने भी हैं उसमे न तो कहीं सीट लगाई गई है और न वह चालू हालत में है। ग्राम पंचायत कटिया के मजरा गांव पड़रिया निवासी नरपति भार्गव ने बताया कि इस गांव का दुर्भाग्य ही कहें कि आजादी के बाद से आज तक समुचित विकास नहीं हो पाया है। इस गांव में रास्ते के अभाव में कई लोग अपने बने बनाए मकान छोड़कर खेतों में छप्पर छानी डालकर गुजर कर रहे हैं। मोहल्ले के लोगों को निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है।

बाउंड्रीवाल न होने से स्कूल परिसर में अतिक्रमण:

पड़रिया निवासी राम सागर ने बताया कि गांव में पानी के निकलने के लिए कोई निकास नहीं है। नालियां चोक हैं। ग्राम पंचायत कटिया की आबादी पांच हजार के करीब है लेकिन काफी प्रयास के बाद एक सफाई कर्मी आया था लेकिन कहीं किसी भी गांव में ऐसा नहीं लगता है कि कोई सफाई कर्मी भी तैनात है। इस ग्राम पंचायत में एक जूनियर हाईस्कूल सहित पाच विद्यालय हैं। पड़रिया गांव में भी एक प्राथमिक विद्यालय है जिसकी बाउंड्री न होने से प्राथमिक विद्यालय के परिसर में जगह-जगह अतिक्रमण हो रहा है।

तालाब सूखे, पानी को भटक रहे बेजुबान:

पड़रिया निवासी प्रमोद यादव ने बताया कि गांव के तालाब सूख गए हैं। गांव के जानवरों को पानी पिलाने के लिए काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान से कहा गया है कि तालाब में पानी भरवा दीजिए। गांव में सिंचाई करने के कोई नलकूप या समरसेबल नहीं है।

एक बार भी नहीं कराया गया सेनेटाइजेशन:

संतराम यादव ने बताया कि गांव से पानी निकास के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे थोड़ी ही बरसात में सब के दरवाजों पर पानी भर जाता है। जिससे निकलने में काफी दिक्कत होती है। इसके अलावा गांव में कोविड महामारी को देखते हुए आज तक दवा का कोई छिड़काव नहीं कराया गया है। लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है, इसके बावजूद जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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