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सीतापुर:नेपाल के श्रद्धालु नहीं कर पा रहे पिंडदान

Sitapur News - नैमिषारण्य। विश्वप्रसिद्ध तीर्थ नैमिषारण्य में हर वर्ष पितृपक्ष में बड़ी संख्या में नेपाल राष्ट्र से श्रद्धालु अपने पूर्वजों की पिंडदान करने आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते भारत और नेपाल सीमा पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSun, 6 Sep 2020 08:51 PM
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नैमिषारण्य। विश्वप्रसिद्ध तीर्थ नैमिषारण्य में हर वर्ष पितृपक्ष में बड़ी संख्या में नेपाल राष्ट्र से श्रद्धालु अपने पूर्वजों की पिंडदान करने आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते भारत और नेपाल सीमा पर नागरिकों की आवाजाही बंद हैं। सीमा सील हो जाने पर सदियों से चली आ रही इस परंपरा पर भी ब्रेक लगा है।नेपाल व भारत में हमेशा से एक अटूट संबंध रहा है। दोनों देश धर्म व भाईचारे के आधार पर एक दूसरे से बड़ी प्रगाढ़ता से जुड़े रहे हैं। नैमिष की महत्ता बड़ी अनोखी है, यहां पर पितृ कार्य करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। श्राद्ध पक्ष के पुनीत अवसर नेपाल से आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों को पिंडदान अर्पित कर पितरों की मुक्ति का आशीर्वाद यहां से लेकर जाते हैं। वैश्विक महामारी के कारण पूरे विश्व में त्राहि त्राहि मची हुई हुई है। इस दौर का सबसे बुरा असर त्योहारों और परंपराओं पर पड़ा है। सदियों से नेपाली लोग नैमिषारण्य तीर्थ में अपने पितरों के मोक्ष और अक्षय तृप्ति के लिए पितृपक्ष में आते रहें हैं, लेकिन सदियों का यह क्रम महामारी के चलते टूट गया है। शौनक गद्दी के संचालक एवं नैमिषारण्य तीर्थ में नेपाल के तीर्थ पुरोहित जनार्दन दीक्षित ने बताया कि इस बार नेपाल के विभिन्न जनपदों से यजमानों के आने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, कोरोना के कारण यह गतिविधि भी अब रुक गयी है। नेपाल के इन जिलों से आते हैं श्रद्धालुनेपाल राष्ट्र की राजधानी काठमांडू के अलावा अन्य जनपदों जैसे महेंद्रनगर, धनगढ़ी, नेपालगंज, काठमांडू, दांग, विराटनगर, कटारी, जनकपुर समेत विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों के लगभग पांच हजार से ज्यादा लोग पितृपक्ष में नैमिषारण्य तीर्थ हर वर्ष आते हैं।

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