सीतापुर: पढ़ने की उम्र में नाबालिग कर रहे बालश्रम

जिला प्रशासन के बालश्रम रोकने के दावे हवाहवाई साबित हो रहे हैं। पढ़ने की उम्र में नाबालिग जीविकोपार्जन के लिए गुड़बेलों पर जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। कम मजदूरी पर नाबालिग बच्चे बारह घंटे तक काम करने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSun, 18 Oct 2020 11:11 PM
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जिला प्रशासन के बालश्रम रोकने के दावे हवाहवाई साबित हो रहे हैं। पढ़ने की उम्र में नाबालिग जीविकोपार्जन के लिए गुड़बेलों पर जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। कम मजदूरी पर नाबालिग बच्चे बारह घंटे तक काम करने के बाद पगार पाते है। हरगांव-बड़ागांव मार्ग पर हरदासपुर में चल रही गुड़बेलों पर ऐसा नजारा रोजाना देखने को मिल रहा है।

सरकार एक तरफ बालश्रम रोकने के तमाम दावे तो कर रही है लेकिन हकीकत इससे इतर है। पेट की खातिर नाबालिग बच्चे गुड़बेलों पर काम कर रहे हैं। गुड़बेल मालिकों के यहां काम करने वाले बच्चों की 16 वर्ष से कम है। पढ़ाई करने की उम्र में रोजी-रोटी की तलाश में बच्चों से बाल मजदूरी करवाई जा रही है जबकि प्रशासन की नजर इस ओर नहीं जा रही है। मासूम बच्चों में शैलेश, समीर, लवकुश ने बताया कि मजदूरी के नाम पर दो सौ रुपये मिलते हैं। मजबूरी मे काम करना पड़ता है। बताते हैं कि इलाके के बड़ागांव, कुसैला, हरदासपुर, महेवा सहित अन्य स्थानों पर लगी गुड़बेलों पर नाबालिग बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है। प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है। एसडीएम शशिभूषण राय का कहना है कि मामला जानकारी में आया है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

औचक निरीक्षण हो तो हकीकत आए सामने:

बालश्रम कानून भले ही बना हो लेकिन जिम्मेदार अधिकारी औचक निरीक्षण नहीं करते हैं। कभी कभार निरीक्षण किया भी जाता है तो महज खानापूर्ति तक ही सीमित रहता है। पढ़ने लिखने की उम्र में मासूम बच्चों से काम कर बालश्रम कानून को चिढ़ाते गुड़बेल मालिक देखे जा सकते हैं।

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