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जी का जंजाल बने जगह-जगह बने शराब के अड्डे

Sitapur News - सीतापुर जिले में शराब की दुकानों के आसपास की स्थिति महिलाओं और बच्चों के लिए संकट बन गई है। शराबियों के समूह और अश्लील टिप्पणियों के कारण आम लोग विशेषकर महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। शराब की...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSat, 22 Feb 2025 10:01 PM
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जी का जंजाल बने जगह-जगह बने शराब के अड्डे

सीतापुर। जिले में तमाम घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संचालित हो रहीं शराब की दुकानों के बाहर और दुकानों के इर्द-गिर्द होने वाली अश्लीलता और हुड़दंग के कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ीं हुई हैं। सार्वजनिक क्षेत्रों, आबादी वाले इलाकों और मुख्यमार्गों पर स्थित शराब की यह दुकानें विशेष रूप से महिलाओं, युवतियों और बच्चों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। कई इलाकों में मुख्य मार्ग पर शराब दुकान होने के कारण दिन ढलने के बाद महिलाओं और युवतियों का गुजरना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि शराबियों के द्वारा की जाने वाली छींटाकशी और उनके जमघट लगने से तथा कई बार तो शराब दुकान के सामने ही या आसपास में जाम छलकाने से विवाद और असुरक्षा का भाव उत्पन्न हो जाता है। मधुशाला के अंदर शराबियों के बीच भले ही प्यार पनपता हो, लेकिन इसके बार तो अक्सर तकरार ही होती नजर आती है।

अधिकांश जगह लोगों के लिए बनी मुसीबत: बात चाहे जिला मुख्यालय की हो, तहसील, कस्बों की हो या फिर सुदूद ग्रामीण अंचलों की हो... शराब की दुकानें हर जगह मिल जाएंगी। सुबह दस बजे से रात दस बजे तक खुलने वाली शराब बिक्री की यह सरकारी दुकानें कुछ लोगों की मौज-मस्ती का अड्डा भले ही हों, लेकिन सरकार को सर्वाधिक राजस्व देने वाली यह दुकानें अधिकांश लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई हैं। जिले की शराब की दुकानों की व्यवस्था पूरी तरह से अनियंत्रित हो चुकी है। इन दुकानों पर सुबह से शाम तक ग्राहकों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन दिन ढलते ही इन दुकानों के बाहर और आसपास शराबियों का जमावड़ा लग जाता है। इससे न सिर्फ यहां से गुजरने वाली महिलाओं को दिक्कत होती है, बल्कि ट्रैफिक जाम के भी हालात बनते रहते हैं। इन दुकानों के आसपास पानी, गिलास, चाट, अंडे और दूसरे चखना के ठेले बार में तब्दील हो जाते हैं। कुछ शराब के शौकीन तो शराब की दुकानों के अंदर ही पैग बनाना शुरू कर देते हैं। ऐसे लोगों को शराब की दुकानों पर गिलास, पानी और नमकीन के पैकेट भी उपलब्ध करा दिए जाते हैं। पीने-पिलाने के इस दौर के बीच इन दुकानों के सामने से महिलाओं और बच्चियों का राह निकलना बेहद मुश्किल भरा सफर होता है। शराब की दुकान के बाहर नशे में झूमते शराबियों के अश्लील कमेंट, बेतरतीब खड़े चाट, अंडा, भूजा आदि के ठेलों और बदबू के बीच महिलाओं और बच्चियों को निकलना किसी भारी मुश्किल से कम नहीं है। शराब की दुकान की दुकान के इर्द-गिर्द खड़े शराब पीने वाले महिलाओं और बच्चियों पर अश्लील कमेंट करते हैं और ताने कसते हैं। ऐसे में महिलाओं और बच्चियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। शराबियों का जमावड़ा होने से कई रोड पर ट्रैफिक जाम भी बड़ी समस्या बनती जा रही है। लोग सड़क पर ही वाहन पार्क कर शराब पीने लगते हैं। ऐसे में शाम के समय ये शराब दुकानें ट्रैफिक जाम की मुख्य पांइट बन गई हैं। शहर की तमाम दुकानों में से अधिकांश में अनाधिकृत तरीके से ओपन बार खुल गए हैं। शराब की इन दुकानों के संचालकों पर न तो आबकारी विभाग का कोई अंकुश है और न ही पुलिस विभाग इन पर कोई कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पा रहा है।

•जिले में शराब की तमाम दुकानों के बाहर का माहौल राहगीरों और आसपास के व्यापारियों के लिए सरदर्द बना हुआ है। शराब की दुकानों के बाहर शराबियों के लगने वाले जमघट से आने वाली अश्लील टिप्पणियों और भद्दे कमेंट्स से इन दुकानों के सामने से गुजरने वाली महिलाओं और युवतियों में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश व्याप्त है। वह भीतर उद्वेलित जरूर हैं लेकिन सामाजिक परिस्थितियों के चलते वह अपना आक्रोश व्यक्त नहीं कर पाती हैं। ऐसी दुकानों के आसपास के दुकानदार भी शाम होते ही इस नए मंजर को लेकर नाराज तो हैं, लेकिन वह अपना आक्रोश व्यावसायिक और व्यवहारिक कारणों से प्रकट नहीं कर पा रहे हैं। शराब की दुकानों के सामने और आसपास संचालित दुकानों में महिलाएं कोई भी सामान खरीदने के लिए आने से कतराती हैं। दुकानों में कार्यरत महिला स्टाफ के लिए भी आने-जाने में असुविधा होती है। शराब खरीदने के लिए आने तमाम ग्राहक आपसी बातचीत के दौरान अभद्र टिप्पणी और गाली-गलौज से एक दूसरे से बात करते हैं। ऐसे में इन दुकानों के सामने से गुजरने वाली महिलाओं के सामने असहजता की स्थिति बन जाती है। इन शराबियों की छींटाकशी के कारण कई बार विवाद की स्थिति भी बन चुकी है। कई बार तो मारपीट भी हो चुकी है। हालांकि इस तरह के मामले पुलिस तक नहीं पहुंचे हैं।

खाली भूखंड बन रहे अवैध ओपेन बार

शराब और बीयर की दुकान के आसपास के खाली पड़े भूखंड शराबियों के लिए सबसे महफूज ठिकाना हैं। शाम होते ही यह भूंखंड ओपेन बार में तब्दील हो जाते हैं। सीतापुर के रोडवेज बस अड्डे के सामने देशी शराब, विदेशी शराब, बीयर और भांग की दुकानें हैं। इन दुकानों के आस-पास चाट, पकौड़ी, अंडा, नमकीन, पानी, सोडा, सिगरट, पान मसाला की दुकानें तो हैं ही बस अड्डे के सामने कई ठेले भी लगते हैं, जिन पर चाट, अंडे, भूजा, मूंगफली, फ्रूट चाट आदि बिकता है। इन्हीं दुकानों के पीछे एक बड़ा खाली प्लॉट पड़ा है। कहने को तो यह गंदा प्लॉट है, लेकिन यह किसी बार से कम नहीं है। इस प्लॉट से पांच कदम की दूरी पर रोडवेज पुलिस चौकी भी है। लेकिन इसके बावजूद भी शाम होते ही यहां पर शराबियों का जमघट लगने लगता है, कोई एक-दो तो कोई चार-छह के झुंड में यहां बैठा खुलेआम शराब का लुत्फ उठाता हुआ मिल जाएगा। शहर की सीमा से सटे बिजवार इलाके में भी हाइवे के किनारे एक लंबा-चौड़ा खाली प्लॉट पड़ा है। इस प्लॉट के सबसे पीछे हिस्से में शराब की दुकान है, और प्लॉट का शेष भाग पीने-पिलाने के काम आ रहा है। यहां पर शाम होते ही जाम टकराने लगते हैं। इसके साथ ही शराब की तमाम दुकानों के आसपास इस तरह के अहाते खुले हुए हैं, जहां पर रोजाना शाम से लोग शराब पीने बैठ जाते हैं। इससे यहां से लोगों का खासतौर पर महिलाओं और बच्चों का गुजरना मुश्किल हो जाता है। इससे यहां के व्यापारी और रहवासी खासे परेशान हैं। शराब की दुकानों के आसपास दूसरी दुकानों के व्यापारियों ने बताया कि शराबियों को देख शराब और बीयर की दुकानों को आस-पास खाने-पीने के ठेले और स्टॉल लग जाते हैं। जहां पानी की बोलतें, गिलास, सोडा, नमकीन, अंडे और नॉनवेज भी बेचा जाता है। शराबी दुकानों के बाहर ही बैठकर खाते-पीते हैं और यहीं गंदगी छोड़कर चले जाते हैं। सुबह हम लोगों को सफाई करवानी पड़ती है। दुकान के बाहर शराब पीने से मना करने पर शराबी विवाद पर भी उतर आते हैं। शराब ठेकेदार को शिकायत करने पर वे भी कुछ नहीं करते, क्योंकि ये सब उनके ही ग्राहक होते हैं।

अधिकारियों के ऑफिस के निकट ही सजती हैं महफिलें

जिले के लहरपुर कस्बे में भी वाइन शॉप, बियर शॉप और देशी शराब की दुकान आबादी के बीच चल रहीं हैं। ये सभी शराब की दुकानें मुख्य मार्ग पर ही स्थित हैं। केसरीगंज को मिला कर लहरपुर कस्बे में शराब की कुल नौ दुकानें हैं। जिसमें पांच देशी शराब के ठेके, दो वाइन शॉप और दो बियर शॉप हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इन तमाम शराब की दुकानों पर सुबह से लेकर देर रात तक खुलेआम जाम छलकते रहते हैं। शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। कस्बे में पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय से महज 50 मीटर और उप जिलाधिकारी कार्यालय से मात्र 100 मीटर की दूरी पर एक बियर शॉप, एक वाइन शाप और एक देशी शराब के ठेके सहित कुल तीन शराब की दुकान संचालित हो रही हैं। पीने के शौकीन इन दुकानों से शराब खरीद कर यहीं पैग छलकाने लगते हैं। जबकि इन शराब की दुकानों के 50 मीटर दायरे में पक्का तालाब तीर्थ सहित दो मंदिर स्थित हैं।

इन शराब की दुकानों के सामने काफी बड़ा खाली प्लॉट पड़ा है। यह प्लॉट बीते कुछ सालों से शराबियों का अड्डा बना हुआ है। शराब की इन दुकानों पर डिस्पोजल गिलास और चखना भी उपलब्ध रहता है। यहीं नहीं इनके सामने से होकर तमाम स्कूली छात्रायें भी गुजरती हैं। जो अक्सर इन शराबियो की छींटाकशी का शिकार होती हैं। इसके अलावा शाम होते ही तमाम शराबी तो पक्का तालाब तीर्थ पर एकत्र हो जाते हैं। यहां दो चाट के ठेले भी हैं, जो इन्ही शराबियो के इंतजार में देर शाम तक खड़े रहते हैं। शराब की दुकानों के सामने प्लॉट से लेकर पक्का तालाब तीर्थ तक देर रात तक शराबियों का जमघट लगा रहता है। यह सब नजारा तहसील के सबसे आला पुलिस अधिकारी के दफ्तर के सामने चल रहा है। बावजूद इसके कोई पूछने वाला नहीं है। केसरीगंज मे भी एक वाइन शॉप, एक बियर शाप और एक देशी शराब के ठेके सहित तीन शराब की दुकानें हैं। ये सभी दुकानें भी आबादी के बीच चल रही हैं। इन दुकानों के आसपास भी देर रात तक शराबियों की भीड़ लगी रहती है।

सुझाव ---

शराब और बीयर की दुकानों को घनी आबादी से दूर किया जाए।

शराब की दुकानों के बाहर भीड़ न लगे इसकी व्यवस्था की जाए।

स्कूल और कॉलेज से कम से कम 500 मीटर दूर हों शराब की दुकानें।

शराब की दुकानों के बाहर पीने-पिलाने पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए।

शराब की दुकानों के बाहर लगने वाले चखना के ठेलों पर पाबंदी लगाई जाए।

नियमानुसार दुकानों के अंदर शराब अथवा बीयर पिलाने की व्यवस्था न होने चाहिए।

शिकायतें ---

शराब और बीयर की दुकानों के घनी आबादी में होने से लोगों को परेशानी होती है।

शराब की दुकानों पर सुबह से शाम तक पियक्कड़ों की भीड़ लगी रहती है।

स्कूल, कॉलेज और धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की दुकानें स्थित हैं।

दिन ढलते ही शराब की दुकानों के बाहर पीने-पिलाने का दौर शुरू हो जाता है।

शराब की दुकानों के बाहर चखना के ठेलों पर जाम टकराते रहते हैं।

नियमों के विपरीत शराब की दुकानों में भी पिलाने की व्यवस्था रहती है।

लोग बोले-

शराब की दुकानों के संचालन को लेकर सरकार ने नियम बनाये हैं। लेकिन यहां ज्यादातर शराब की दुकानें मानकों की अनदेखी कर संचालित की जा रही हैं। सब जानने के बाद भी अधिकारी कोई करवाई नही करते हैं। ये चिंता की बात हैं।

मनोज गुप्ता

शहर में देर रात तक शराब की दुकानें चलना आम बात है। शराब की दुकानों पर रोज देर रात तक भारी भीड़ लगी रहती है। जिसकी वजह से आस पास रहने वाले को काफी दिक्कत होती है। सब जानने के बाद कोई देखने वाला नहीं है।

प्रदीप जैन

शहर में आबादी के बीच चल रही शराब की दुकानों की वजह आस पास रहने वाले लोगों को काफी असुविधा होती है। बार बार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

पंकज यादव

सरकार नियम के अनुसार शराब की दुकानों पर शराब पीने की मनाही है। लेकिन यहां शराब की दुकानों पर ही लोग शुरू हो जाते हैं। शहर में आम तौर पर शराब को दुकानों पर और उनके आस पास शराब पीने वालों का जमावड़ा लगा रहता है।

अनीत कुमार

शासन ने धार्मिक स्थानों से कितनी परिधि में शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए। इसे स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। बावजूद इसके शासन के निर्देशों का उल्लंघन कर शराब के ठेके चल रहे हैं। कोई पूछने वाला नहीं है।

सुमित बाजपेयी

शहर की तमाम शराब की दुकानें मुख्य मार्गों पर हैं। इन रास्तों से महिलाओं व छात्राओं का भी आना जाना रहता है। इन दुकानों के आसपास शराब पीने वालों का जमावड़ा रहता है। नशे में धुत लोग अक्सर छात्राओ पर फब्तियां कसते हैं। इस पर लगाम लगनी चाहिए।

जया सिंह

लहरपुर कस्बे में लगभग अभी शराब की दुकानें आबादी के बीच ही हैं। इन शराब की दुकानों पर पूरा दिन भीड़ लगी रहती है। हालात ये हैं, शराब की दुकानों के सामने से महिलाओ का निकलना दूभर है। अधिकारी सब जानने के बाद भी कोई कार्रवाई नही करते हैं।

शिल्पी यादव

आबादी में शराब की होने से आसपास के लोगों को काफी दिक्कतें आती है। देर रात तक दुकानों की भीड़ लगी रहती है। आये दिन गाली-गलौज और मारपीट होती है। हालत ये है कि शाम होने के बाद महिलाओं का घर से बाहर निकलना दुश्वार है।

रीतू भरतिया

महोली कस्बे के बड़ागांव चौराहे पर नशे में धुत शराबी आए दिन चौराहे पर हंगाम करते रहते हैं। इनके वाहन भी आड़े-बेड़े खड़े रहते हैं। जिससे महिलाओं और बुजुर्गों को यहां से निकलना किसी मुसीबत से कम नहीं है।

मनोज मिश्र

शराब पीने और खरीदने के लिए नियमों को और सख्त बनाने की जरूरत है। इसके अलावा शराब की दुकानों को घनी आबादी से दूर किए जाने की जरूरत है।

आशुतोष मिश्रा

शराब के नशे में धुत लोग बेवजह सड़कों पर विवाद करने पर आमादा रहते हैं, जिसके चलते शराब की दुकानों के पास रहने वाले परिवारों को मजबूरन दिन ढलते ही अपने घरों में कैद हो जाना पड़ता है।

रेखा बाजपेई

शाम वक्त आए दिन शराब के नशे में धुत बाहरी लोग आकर मेरी पान की दुकान पर बेवजह की बहस और वाद-विवाद करते रहते हैं। मना करने पर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।

राकेश बाबा

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