महीने में 11.75 करोड़ खर्च फिर भी नहीं दे पाए मेरिट
Sitapur News - सीतापुर जिले के राजकीय और अनुदानित स्कूलों के छात्र यूपी बोर्ड के परिणामों में प्रदेश और जिले की मेरिट में जगह बनाने में असफल रहे हैं। जबकि निजी स्कूलों ने टॉप 10 में अपनी स्थिति बनायी है, सरकारी...

सीतापुर, संवाददाता। जिले के राजकीय और अनुदानित स्कूल के छात्र हर साल की तरह इस साल भी यूपी बोर्ड के परिणामों में प्रदेश या जिला स्तर की मेरिट में अपनी जगह बना पाने में नाकामयाब रहे हैं। जिले में 62 राजकीय और 54 अनुदानित स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों पर हर महीने 11.75 करोड़ रुपए उनके वेतन के रुप में खर्च किया जाता है। सरकार की ओर से इतनी मोटी रकम खर्च किए जाने के बाद भी छात्रों का बेहतर प्रदर्शन न कर पाना इन स्कूलों की शिक्षण पद्धति पर सवाल उठाने के लिए काफी है। जबकि जिले में निजी स्कूलों के नौ छात्र छात्राओं ने प्रदेश की मेरिट में अपना स्थान बनाया है।
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम में प्रदेश और जिले की टॉप 10 की सूची में निजी विद्यालयों ने तो बाजी मार ली, लेकिन राजकीय और अनुदानित विद्यालय इस रेस में फिसड्डी साबित हुए। मेरिट की रेस में निजी स्कूलों से प्रदेश की टॉप 10 की सूची में हाईस्कूल के सात और इंटरमीडिएट के दो मेधावी छात्र छात्राओं ने अपना परचम फहराया। इसके साथ साथ जिले की बात की जाए तो यहां भी हाईस्कूल में 21 और इंटरमीडिएट में 17 मेधावी छात्र छात्राओं ने अपनी मेहनत से टॉप 10 की सूची में अपनी जगह बनाई। लेकिन वहीं राजकीय और अनुदानित विद्यालयों से प्रदेश की तो दूर जिले में एक भी विद्यार्थी इन बुलंदियों तक नहीं पहुंच सका है। यह हाल सिर्फ इस साल का नहीं है। बीते कई सालों से कुछ इसी प्रकार राजकीय और अनुदानित विद्यालय टॉप 10 की सूची में अपनी जगह बनाने के लिए प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन उनके यह प्रयास सफलता दिलाने के मामले में ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं।
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