बोले सीतापुर-आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के सामने दुश्वारियां,कोई गारंटी नहीं

  • बिजली विभाग में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को दिक्कतें ही दिक्कते हैं। हर स्तर पर निर्धारित मानदेय में कमी होती है। अगर एक दिन काम पर नहीं जाएं तो वेतन की कटौती अलग से हो रही है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से इस मुद्दे पर बात की।

Sanjeev tiwari हिन्दुस्तानSat, 15 Feb 2025 10:51 PM
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बोले सीतापुर-आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के सामने दुश्वारियां,कोई गारंटी नहीं

सीतापुर। शहर से लेकर सुदूर ग्रामीण अंचलों तक बिजली हर किसी की एक बड़ी जरूरत बन चुकी है। वर्तमान परिदृश्य में बिजली के बिना एक पल भी रहना मुश्किल है। बिजली आपूर्ति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिजली कर्मियों में सबसे अग्रणी नाम लाइनमैन का आता है। इन बिजली कर्मचारियों के बिना बिजली की निर्बाध और नियमित आपूर्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। समय के साथ-साथ बिजली विभाग में इन नियमित कर्मचारियों की संख्या भी घटने लगी, इससे विभागीय कामकाज प्रभावित हुआ, जिसके बाद बिजली विभाग ने आउट सोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों को लेकर काम शुरू कर दिया। इन कर्मियों से लाइनमैन, विद्युत चोरी रोकने, बकाया बिलों की राशि वसूलने, मीटर रीडिंग लेने, बंद एवं खराब मीटर बदलने, विद्युत लाइनों के सुधार कार्य से लेकर, बिलों की वसूली आदि महत्वपूर्ण काम लिए जा रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी इन आउटसोर्स के बिजली कर्मियों के जीवन में खुशियों का उजाला नहीं बिखरा सका है।

शहर में निर्बाध बिजली आपूर्ति में आउटसोर्स बिजली कर्मचारियों का अहम योगदान है। लेकिन इन कर्मचारियों की जिन तमाम समस्याओं पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, उस ओर किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया। अपनी मांगों को लेकर कई बार विभागीय उच्चाधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन दिए जाने और धरना-प्रदर्शन करने के बाद भी इनकी आवाज नहीं सुनी गई। पूरी लगन के साथ बिजली व्यवस्था को दुरुस्त रखने में दिन जुटे रहने के बाद भी इन तमाम ठेका बिजली कर्मियों का जीवन अभावग्रस्त है। इन कर्मियों को न तो समय पर वेतन का भुगतान होता है और न ही अन्य सुविधाएं ही समय रहते मिल पाती हैं। वेतन विसंगतियों से लेकर तमाम ऐसी समस्याएं है,जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिये। वेतन विसंगतियों का आलम ये है कि आउटसोर्स कर्मचारी के अनुबंध में वेतन 11,000 और 13,000 का होता है। जबकि सैनिक कल्याण से उपकेंद्र परिचालकों की तैनाती के लिए अनुबंध में वेतन 28,000 से 32,000 होता है। जबकि दोनों ही आउटसोर्स हैं। आउटसोर्स कर्मचारी इस कार्य के लिए पूरी तरह से सभी मानकों को पूरा करते हुए दक्ष हैं। तमाम ठेका बिजली कर्मी लंबे समय से सैनिक कल्याण कर्मचारियों की तरह ही वेतन एवं अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। यह कर्मचारी समान काम समान वेतन की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है। लेकिन इन कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। नियमित कर्मचारी के मुकाबले आधे से भी कम वेतन में यह आउटसोर्स कर्मचारी विभाग के तमाम काम करते रहते हैं। इन कर्मियों का कहना है कि अनुरक्षण के अलावा डिस्कनेक्शन और वसूली जैसे काम करा कर हम लोगों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है।

आउटसोर्स कर्मचारियों की एक मुश्किल यह भी है कि ड्यूटी के समय यदि कोई दुर्घटना हो जाती है, तो मामूली मानदेय पर काम करने वाले ऐसे कर्मचारी के सामने उपचार कराने का संकट आ खड़ा होता है। ईएसआईसी के अपडेट ना होने की वजह से आउटसोर्स कर्मचारी को अपने पास से इलाज कराना पड़ता है। आउटसोर्स कर्मचारियों के खाते लखनऊ में न खुलवा कर अन्य दूर के जिलों में खुलवाए गए हैं। ईपीएफ खातों के एकीकृत ना होने की वजह से भुगतान में काफी परेशानी होती है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि नियमानुसार आउटसोर्स लाईन मैन महीने में 26 दिन और एक दिन में आठ घंटे की ड्यूटी करने का प्रावधान है। लेकिन इन आउटसोर्स कर्मचारियों के ड्यूटी पर आने का समय तो है, लेकिन ड्यूटी ऑफ होने का कोई समय नही है।

अनुबंध मजदूर का लेकिन काम तकनीकी

विद्युत विभाग में तमाम कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। एक दो वर्षों के बाद पॉवर कारपोरेशन और प्रबंधन कार्यदायी संस्थाओं के बीच अनुबंध बदलता रहता है। लेकिन आउटसोर्स कर्मी निरन्तर काम करते रहते हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ विसंगतियां उनकी नौकरी शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है। आउटसोर्स कर्मचारियों और प्रबंधन कार्य संस्था के बीच इस कर्मचारियों का लेबर के लिए अनुबन्ध किया जाता है। उसी काम के अनुसार वेतन का निर्धारण होता है। जिसमें आउटसोर्स कर्मियों को 11,000 से 13,000 रुपये वेतन दिया जाता है। जबकि आउटसोर्स कर्मचरियों से काम लाइनों का अनुरक्षण, उपकेंद्र परिचालक और लाइनमैन का लिया जाता है। यही कारण है कि तमाम आउटसोर्स कर्मचारी एकजुट होकर समान काम और समान वेतन के अलावा काम के अनुसार वेतन के निर्धारण और अनुबंध के अनुरूप ही काम लिए जाने की मांग पर अड़े है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि हमारी अन्य तमाम मांगे जायज हैं, लेकिन हमारी आवाज को न तो विभागीय अधिकारी ही सुन रहे हैं और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी ही हमारी आवाज सुन रहा है। हमारे जन प्रतिनिध भी इस ओर से मुंह मोड़े बैठे हैं।

जरूरत पर नहीं मिलता है पैसा

आउटसोर्स कर्मचारी अक्सर ड्यटी के दौरान काम करते समय जख्मी होते हैं। हालांकि दुर्घटना में घायल आउटसोर्स कर्मी के इलाज के लिए ईएसआईसी की व्यवस्था है। लेकिन ईएसआईसी अपडेट न होने के कारण दुर्घटना के बाद इलाज का सारा बोझ घायल कर्मचारी पर ही आ जाता है। इसी तरह कर्मचारी की आकस्मिक आवश्यकता पर उसे पैसे की कमी ना हो इसके लिए ईपीएफ भी कटता है। लेकिन ईपीएफ खाते एकीकृत ना होने की वजह से जरूरत पर भुगतान में काफी परेशानी होती है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि ईएसआईसी को अपडेट किया जाए। जिससे घायल कर्मी का समुचित इलाज हो सके।

कंपनियों में एकरूपता नहीं, वेतन विसंगतियां

दरअसल, बिजली विभाग में हर स्तर पर आउटसोर्सिंग पर कर्मी तैनात हैं। मीटर रीडर की अलग कंपनी, तार जोड़ने वालों की अलग कंपनी, लाइनमैन की अलग कंपनी, सब स्टेशन और विभिन्न काउंटरों पर काम करने वालों की अलग अलग कंपनियां हैं। सभी में एकरूपता नहीं है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों के कल्याण के लिए नीति तैयार कर अधिकांश समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया जाता है। मगर कोई मांग पूरी नहीं होती है। प्रमुख मांगों में संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करना है। इस नीति के तहत, लंबे समय से काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाएगा। इससे उन्हें नौकरी की सुरक्षा और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। उधर समस्याओं को नजर अंदाज करने से कर्मचारियों में निराशा की भावना पैदा हो रही है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि निराशा की वजह से उनके काम पर असर है। दूसरी सबसे बड़ी बात उनके सामाजिक सुरक्षा को लेकर है। अगर कोई दुर्घटना का शिकार हो जाए तो उसकी सुनने वाला कोई नहीं होता। हर वर्ष कोई न कोई दुर्घटना जिले में होती है। खासतौर से गर्मियों में स्थित बिगड़ी है। उस समय कर्मचारियों की संख्या भी कम कर दी जाती है इससे काम का दबाव अधिक रहता है।

जिले के आंकड़े

जिले में कुल बिजली घर-54

शहरी बिजली घर -08

ग्रामीण बिजली घर -46

कुल आउटसोर्स कर्मचारी-1207

क्या कहते हैं कर्मचारी

आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ खुला भेदभाव होता है। जब काम एक तो वेतन में विसंगतियां क्यों हैं। समान काम समान वेतन की मांग को लेकर हमारा संगठन लम्बे समय से संघर्ष कर रहा है। इसके अलावा आउसोर्स कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों के समान सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। हमारी प्रमुख मांग यही है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को कार्य के अनुरूप वेतन दिया जाए।

सुखविंदर सिंह,

जिला अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/ संविदा कर्मचारी संघ जिला इकाई सीतापुर

आउटसोर्स कर्मचारियों के ईपीएफ खाते लखनऊ में ना खुलवा कर बाहर खुलवाए गए हैं। इन खातों के एकीकृत ना होने से ईपीएफ का भुगतान कराने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। शिवांश वर्मा

आउटसोर्स कर्मचारियो को स्थायी कर्मचारियों की अपेक्षा बेहद कम सुविधाएं नहीं मिल रहीं हैं। यहां तक कि लाइन पर काम करने के लिए जरूरी सुरक्षा उपकरण भी हमें खरीदने पड़ते हैं। अमर सिंह राठौर

आउटसोर्स कर्मचारियों को कार्य के अनुरूप वेतन नहीं दिया जा रहा है। हमारा अनुबन्ध लेबर का है। लेकिन काम लाइनमैन और उपकेंद्र परिचालक का कराया जाता है।

सचिन वर्मा

विभागीय कर्मचारियों के समान सुविधाएं नहीं मिल रही है। हम लोगों को काम के दौरान इस्तेमाल आने वाले दस्ताने और अन्य सामान अपने पास से खरीदने पड़ते हैं।

कुलदीप वर्मा

आउटसोर्स कर्मचारियों के ईएसआईसी के लिए वेतन से कटौती होती है। लेकिनअपडेट ना होने की वजह से समय पर इसका लाभ नहीं मिल पाता है। इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिये। जिससे कर्मचारियों को इसका समुचित लाभ मिल सके।

निशांत वर्मा

आउटसोर्स कर्मचारियो की छटनी पॉवर कारपोरेशन के आदेश का खुला उलंघन है। इस छटनी से तमाम आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे, और उनके सामने भरण-पोषण का संकट खड़ा हो जाएगा।

मोहित यादव

आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन नियमित और संविदा कर्मियों के मुकाबले काफी कम है। इन्हें सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं है। हम लोगों को स्थायी कर्मचारियों की तरह सुविधाएं औऱ ड्यूटी का समय निर्धारित हो।

आदित्य वर्मा

प्रबंधन द्वारा आउटसोर्स में दोहरी नीति अपनाई जाती है। सैनिक कल्याण के लोग मानक के अनुरूप आईटीआई नहीं होते हैं। जबकि आउटसोर्स कर्मचारी अपने काम में दक्ष हैं। फिर भी हम लोगों से भेदभाव होता है।

विमल शर्मा

हम आउटसोर्स कर्मचारियों को सैनिक कल्याण कर्मचारियों के समान वेतन नहीं मिलता है। जबकि हम लोगों से अधिक काम लिया जाता है। इतने कम वेतन में मुश्किल से गुजारा होता है।

ओमकार

जब काम समान है, तो सुविधाएं भी समान होनी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों कर्मचारियों को काम के दौरान जरूरी सुरक्षा समान यहां तक प्लास तक विभाग नहीं देता है। जरूरी सामान हो तो काम करने में आसानी होगी।

अन्नू पाल

नियमानुसार महीने में 26 दिन और प्रतिदिन आठ घंटे की ड्यूटी का प्रावधान है। जबकि हम लोगों प्रतिदिन 12 घंटे और पूरे माह काम करना पड़ता है। हम कर्मचारियों को भी ड्यूटी में नियमानुसार छूट मिलनी चाहिए।

दीपक श्रीवास्तव

हमारा संगठन विजली व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ है। निजीकरण से बिजली उपभोक्ताओं का नुकसान है। उन्हें ओटीएस जैसी तमाम योजनाओं का लाभ नहीं मिल पायेगा।

यासिर

स्वास्थ्य बीमा को लेकर कर्मचारी लम्बे समय से मांग कर रहे हैं। दुर्घटना पर किसी तरह राहत होने वाला कोई नियम नहीं है। यह एक तरह से मजदूरों का शोषण है।

योगेंद्र

कई लोग दुर्घटना में घायल हुए हैं इसे लेकर उनके परिजनों को कोई राहत नहीं दी जा रही है। कई बार संगठन के कर्मचारियों ने अपनी आवाज बुलंद की लेकिन कोई असर नहीं पड़ा।

शानू भारतीय

कर्मचारियों की सुनी नहीं जाती है। कई बार धरना प्रदर्शन किया जाता है लेकिन उसका असर नहीं होता है। संगठन के कर्मचारियों को एजेंसी के द्वारा भी परेशान किया जाता है।

आनंद कुमार

क्या कहते हैं जिम्मेदार

आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ ना तो वेतन विसंगति और ना ही कोई अन्य समस्या है। इन कर्मचारियों की जल्द ही छटनी होने जा रही है, यह समस्या ही इन कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या है।

रामशब्द,अधीक्षण अभियंता

सुझाव

1-प्रशिक्षित कर्मचारियों का वेतन उनकी स्किल के आधार पर तय किया जाए

2-नियत समय और तिथि पर ही वेतन मिले, ऐसा नहीं होने पर अतिरिक्त दिया जाए

3-घायल कर्मचारियों का कैशलेश उपचार कराने की सुविधा दी जाए

4-मृतक कर्मचारियों के परिजनों को 10 लाख रुपये दुर्घटना लाभ दे

5-60 वर्ष तक कार्य करने की अनुमति मिले, महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिले

6-कार्यस्थल पर पूरी तरह सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए

7-काम के घंटे तय हैं उसी आधार पर कर्मचारियों से काम लिया जाए

शिकायतें

1-आउटसोर्स कर्मियों की कई मांगें पिछले काफी वर्षों से लंबित हैं

2-कर्मचारियों की समस्या का निस्तारण नहीं किया जा रहा , टाला जा रहा

3-कर्मचारियों को मेडिकल और कैजुअल अवकाश नहीं मिल पाता

4-कर्मचारियों के वेतन में वर्षो तक बढ़ोत्तरी नहीं होती

5-कर्मचारी बिना किसी सूचना के हटा दिए जाते हैं ऐसा नहीं किया जाए

6-आउटसोर्स कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है, राहत के उपाय नहीं

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