लो विजन के चिन्हांकन को 3.22 लाख बच्चों के आंखों की होगी जांच
परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की जांची जाएंगी आंखें लो विजन के चिन्हांकन को 3.22 लाख बच्चों के आंखों की होगी जांच परिषदीय विद्यालयों में अध
सिद्धार्थनगर, हिन्दुस्तान टीम।
बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन स्कूलों में पढ़ने वाले 3.22 लाख ऐसे बच्चे जो किसी तरह के नेत्र रोग से ग्रसित हैं, उनके लिए अच्छी खबर है। अब नजदीकी सरकारी अस्पताल में शिविर लगाकर बच्चों की आंखों की जांच कर इलाज किया जाएगा और जरूरतमंद बच्चों को दवा व चश्मा दिया जाएगा।
इसके लिए बेसिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग कार्य योजना तैयार करने में जुटा है। इसमें सहयोगी संस्था से भी मदद ली जाएगी। सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अलग-अलग तिथि को शिविर लगाकर नेत्र सहायक व स्वास्थ्य कर्मी बच्चों की नेत्र जांच करेंगे। अभिभावकों को बच्चों के आंख का रुटीन जांच कराने व आंख की शिकायत को गंभीरता से लेने के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे बच्चों का स्क्रीनिंग कर सके। प्रशिक्षण के दौरान टीचर्स का काउंसलिंग भी होगा। जिला समन्वयक समेकित शिक्षा करूणापति त्रिपाठी ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को आंख के प्रति सजग करना और दृष्टि दोष से मुक्ति दिलाना है। चूंकि अक्सर बच्चों में देखा जाता है कि छोटे-छोटे कारणों से दृष्टि दोष बढ़कर आगे भयावह रूप ले लेता है। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना बनने के बाद परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बच्चों के आंखों की जांच कराई जाएगी, इसमें दिव्यांग बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. संजय गुप्त ने बताया कि दृष्टि दोष का मुख्य कारण प्रॉपर लाइट का प्रयोग नहीं होना और वातारण के धूल कण से बचाव नहीं करना है। डॉक्टरी सलाह के मुताबिक दिन में कम से कम तीन या चार बार ठंडा पानी से आंख में छींटा मारना चाहिए। सुबह में कम से कम आठ-दस बार आंख धोना चाहिए। बैलेंस डाइट नहीं लेना भी बड़ा कारण है। आंख धोने की आदत डालनी होगी।
नेत्र की समस्या से पढ़ाई होती है बाधित
जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.आरके वर्मा ने बताया कि स्कूलों में नेत्र की समस्या की वजह से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। बच्चों में दृष्टि दोष एक बड़ी समस्या है। ऐसे बच्चे क्लास में बोर्ड पर लिखा प्रश्न और उत्तर को नहीं लिख पाते हैं और यही कारण है कि ऐसे बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि अभिभावक और बच्चों दोनों इस नेत्र समस्या को नहीं पहचान पाए। ऐसे बच्चों को सिर में अक्सर दर्द भी रहता है, जो दृष्टि दोष का एक बड़ा कारण माना जाता है।
स्क्रीनिंग के आधार पर नेत्र सहायक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगने वाले शिविर में जाकर चिह्नित बच्चों की आंख जांच कर जरूरी सलाह देंगे। जिन बच्चों को चश्मा की जरूरत होगी, उनकी सूची तैयार करेंगे ताकि उन बच्चों को सहयोगी संस्था के माध्यम से चश्मा उपलब्ध कराया जा सके।
देवेंद्र कुमार पांडेय, बीएसए
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