बच्चों से सकारात्मक दिशा में करें बात, नहीं तो जिंदगी होगी बर्बाद
Siddhart-nagar News - 01 एसआईडीडी 15: डॉ. फजल खान। द्धार्थनगर, निज संवाददाता। ऑटिज्म एक बीमारी है, जो अक्सर बच्चों में पाई जाती है। यह बीमारी बच्चों के भीतर हीन भावना पैदा

सिद्धार्थनगर, हिटी। ऑटिज्म एक बीमारी है, जो अक्सर बच्चों में पाई जाती है। यह बीमारी बच्चों के भीतर हीन भावना पैदा करता है। इस तरह की बीमारी से पीड़ित मरीज जनपद में भी हैं। इनके इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में कोई बंदोबस्त नहीं है, बल्कि काउंसलिंग कर सुधार की दिशा में प्रयास किया जाता है। ऐसे बच्चों से सकारात्मक दिशा में बातचीत करें, नहीं तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। इलाज के लिए बड़े शहर जाना मजबूरी हो जाएगा।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) यानी की न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति पैदा करती है। यह स्थिति बच्चों के मस्तिष्क के विकास और कार्य को प्रभावित करती है। इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर बचपन में शरीर के भीतर प्रवेश करता है और जिंदगी की बढ़ती दिनचर्या के साथ दिखाई देने लगता है। सामाजिक संकेतों को समझने और उन पर प्रतिक्रिया करने व भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई होने लगती है। इसके अलावा हाथ का फड़फड़ाना, हिलना, विशिष्ट विषयों में रुचि न रखना आदि शामिल है। यह सब दिक्कतें बच्चों को बार-बार डांटने, नकारात्मक व्यवहार करने से होता है। बच्चे डांट-फटकार व नकारात्मक व्यवहार का जवाब नहीं देते हैं, लेकिन उनके मन में डांट-फटकार, नकारात्मक व्यवहार की पीड़ा चलती रहती है। इससे बच्चे की दिनचर्या व जिंदगी की गति सामान्य लोगों से हटकर हो जाती है। यह दिक्कत बच्चों की जिंदगी को प्रभावित कर देता है। बच्चों की गलत हरकतों पर अभिभावक सकारात्मक दिशा में बातचीत करें तो बचपन से बर्बाद होने वाली जिंदगी को बचाया जा सकता है।
इसका जरूर करें ख्याल
कभी-कभी बच्चे पढ़ाई में कमजोर होने पर कम अंक लाते हैं। इसे लेकर अभिभावक मुद्दा न बनाएं। अधिक अंक पाए किसी अन्य छात्र का उदाहण देकर अपने बच्चे को डांट न लगाएं, बल्कि आगे मेहनत के लिए प्रेरित करें। बच्चा बिस्तर पर पेशाब करे तो उसे डांटने की बजाए समझाएं। देर रात उसे उठाकर पेशाब करा दें। इस तरह की छोटी-छोटी बातों का ख्याल करने पर बच्चा सदैव सकारात्मक रहेगा और होने वाली दिक्कतों से बच सकेगा।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार जैसी बीमारी अक्सर बच्चों में देखने को मिलता है। यह दिक्कतें बचपन से होती है। कभी-कभी ओपीडी में इस तरह के मामले आते हैं। इसका इलाज काउंसलिंग ही सबसे बेहतर है। अभिभावक बच्चों को लेकर हमेशा सकारात्मक रहें। बचपन से ही बच्चों से सकारात्मक दिशा में बातचीत करें। सकारात्मक रहने से कई बीमारियों से बचाव संभव है।
डॉ. फजल खान, बाल रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।