भारतीय परंपरा में विद्या का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अर्थ अज्ञानता से मुक्ति
सिद्धार्थनगर, निज संवाददाता। भारतीय परंपरा में विद्या का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अर्थ अज्ञानता से मुक्त करने वाला है। शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का न
सिद्धार्थनगर, निज संवाददाता।
भारतीय परंपरा में विद्या का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अर्थ अज्ञानता से मुक्त करने वाला है। शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती है, जिसमें जड़ एवं चेतना का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चित शांति दया करुणा के लिए चेतना और एकाग्रता की आवश्यकता होती है, जब किसी वस्तु का उपभोग और उपयोग करते हैं तो उसके निर्माण के पीछे वह श्रम शक्ति और कठोर साधना का की अनुभूति जरूर होनी चाहिए। ये बातें केंद्रीय उच्च तिब्बती विश्वविद्यालय सारनाथ वाराणसी के कुलपति वङछुग दोर्जे नेगी ने कही। वह मंगलवार को सिद्धार्थ विवि कपिलवस्तु के आठवें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय उच्च तिब्बती विश्वविद्यालय सारनाथ वाराणसी के कुलपति वङछुग दोर्जे नेगी ने कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय नेपाल की सीमा पर स्थित है। इसकी भूमिका नेपाल के संबंधों को और मजबूती प्रदान करने के साथ ही साथ चीन में तिब्बत सहित सीमा के लगे देश के साथ वहां के ज्ञान विज्ञान को अपने देश में उपयोग करने तथा अपने देश के विज्ञान विज्ञान को वहां के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाने में विशेष भूमिका सर्वाधिक है। छात्रों को व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र और समाज के विकास का अभ्यास किया जाना चाहिए। प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि दीक्षांत समारोह दीक्षा प्राप्त होने के उपरांत बहुत ही मूल्यवाची समारोह होता है। स्वयं के उत्थान के साथ राष्ट्र और समाज के उत्थान में लगने से अलौकिक भविष्य का निर्माण होगा। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कविता शाह ने कुलाधिपति का मार्गदर्शन विश्वविद्यालय को निरन्तर ऊर्जा प्रदान करती रही है। विवि नैक मूल्यांकन के लिए अग्रसर है। मुख्य अतिथि प्रो. वङछुग दोर्जे नेगी को विश्वविद्यालय की ओर से कुलाधिपति ने डिलीट की उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर डीजी लाकर पर 187108 अंक पत्रों को भी अपलोड किया गया। राज्यपाल ने दीक्षांत के अवसर पर विश्वविद्यालय के आसपास के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को बैग पुस्तक सहित एवं प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, विधायक श्यामधनी राही, सैय्यदा खातून, डीएम डॉ. राजागणपति आर, एसपी प्राची सिंह, सीडीओ जयेंद्र कुमार, डीएम श्रावस्ती अजय कुमार द्विवेदी, कुलसचिव डॉ. अमरेन्द्र कुमार सिंह, बीएसए देवेंद्र कुमार पांडेय आदि उपस्थित थे।
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कुलाधिपति ने संचालक को टोका
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के आठवें दीक्षांत समारोह के समापन की घोषणा करने से पहले ही राष्ट्रगान के लिए उद्बोधन करने पर कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने संचालक को टोका और कहा कि पहले मुझे समापन की घोषणा तो कर लेने दीजिए, फिर राष्ट्रगान कराएं। कुलाधिपति के टोकने पर जहां संचालक खुद को असहज महसूस किया, वहीं पंडाल में भी इस बिंदु पर आपस में कानाफूसी शुरू हो गई थी।
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नहीं उपस्थित हुए कई माननीय
सिद्धार्थ विवि के आठवें दीक्षांत समारोह में जिले के कई जनप्रतिनिधि उपस्थित नहीं हो सके। इनमें सांसद जगदंबिका पाल, विधायक जय प्रताप सिंह, विनय वर्मा समेत विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, सुभाष यदुवंश, देवेंद्र प्रताप सिंह भी उपस्थित नहीं थे। भाजपा जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान हेलीपैड पर ही राज्यपाल का स्वागत किया, पर वह भी पंडाल में नहीं दिखे।
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दो जिलों के सौ आंनगबाड़ी केंद्रों के लिए किट
प्रदेश की राज्यपाल, कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने सिद्धार्थनगर और श्रावस्ती जनपद के सौ आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए एक-एक किट प्रदान किया। इसमें रूमाल, डेटाल, नेलकटर, शीशा, कंघी, बटन, सूई और धागा इत्यादि सामग्री थे। कुलाधिपति ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के लिए यह किट सेहतमंद होने की दिशा में बेहद कारगर होगा। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर किट पहुंचाने का है। इस दिशा में प्रयास भी सार्थक हो रहा है।
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