सत्संग से ही होता है संस्कार का जन्म: आलोकानंद
Siddhart-nagar News - डुमरियागंज के बेंवा में श्रीमद्भागवत कथा में स्वामी आलोकानंद शास्त्री ने संत्सग के माध्यम से संस्कारी बनने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सत्संग से संस्कार का जन्म होता है और बच्चों को भी सत्संग में...

डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। डुमरियागंज क्षेत्र के बेंवा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार की रात कथावाचक स्वामी आलोकानंद शास्त्री ने लोगों को संत्सग के जरिए संस्कारी बनने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सत्संग से ही संस्कार का जन्म होता है। इसलिए संत महात्माओं संग सत्संग करें और अपने बच्चों को भी सत्संग में लाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अच्छा जीवन जीने के लिए संस्कारवान होना जरूरी है। संस्कार हमारे अंदर तभी आएगा जब हम संत महात्माओं का संगत करेंगे। संतों की वाणी को अपने अंदर उतारेंगे। तभी हमारे मन को शांति मिलेगी। उन्होंन कहा कि भौतिकवादी जीवन में बच्चे सत्संग से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में संस्कार को बनाए रखना आज लोगों के समक्ष चुनौती है। इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों को सत्संग में लाने का प्रयास करें। संत महात्माओं की संगति कराने का प्रयास करें और उनकी वाणी को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। साथ ही उनके बताए मार्ग पर चले तभी यह जीवन सफल होगा और मन को शांति मिलेगी। कथावाचक ने लोगों से भगवान की कथाएं सुनने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि भगवान की कथा सुनने से जीवन के दुख दूर होते हैं। इस दौरान शिव पूजन अग्रहरि, मनोज अग्रहरि, रामनिवास यादव, अयोध्या प्रसाद मिश्र, हनुमान वर्मा, अनिल अग्रहरि, पवन अग्रहरि, सुनील अग्रहरि, हनुमान वर्मा आदि मौजूद रहे।
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