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कड़ाके की ठंड से केले की फसल को बचाने के करें उपाय: कृषि वैज्ञानिक के सुझाव

Siddhart-nagar News - कड़ाके की ठंड से केले की फसल को बचाने के करें उपाय: कृषि वैज्ञानिक के सुझावकड़ाके की ठंड से केले की फसल को बचाने के करें उपाय: कृषि वैज्ञानिक के सुझाव

Newswrap हिन्दुस्तान, सिद्धार्थSat, 11 Jan 2025 03:35 AM
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सोहना, हिन्दुस्तान संवाद। केला एक ऊष्ण कटिबंधीय फसल होने के कारण इसे कम तापमान से अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। ठंड एवं पाले से केले के पौधों पर विपरीत असर पड़ता है। इससे पौधे का वृद्धि एवं विकास पूरी तरह से रुक जाता है। जिसका सीधा असर केले के उत्पादन पर पड़ता है।

यह जानकारी सोहना कृषि वज्ञिान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण कुमार मश्रिा ने दी। उन्होंने बताया कि केला किसान ठंड से केला के फसल को बचाने के उपाय करें। केला की फसल के बेहतर वृद्धि एवं विकास के लिए 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा होता है। पूरे उत्तर प्रदेश में ठंड में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इससे पौधों का तना एवं पत्ते फटने के साथ-साथ पत्तियों का रंग पीला या भूरा हो जाता है। पौधों के कोशिका के अंदर का पानी बर्फ के कण में बदलने के कारण पौधों की कोशिकाएं क्षतग्रिस्त हो जाती है। इससे पौधों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। केले के तनों के गलने एवं पत्तों के सड़ने से फफूद जनित रोगों के लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में केला किसानों को अपनी फसल को ठंड से बचाने के लिए उपाय करना जरूरी है। सर्दियों के मौसम में केले की सिंचाई हमेशा शाम के समय 10 से 15 दिनों के अंतराल में करे। साथ ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था भी रखें, क्योंकि जल जमाव वाली मिट्टी ठंड होने पर नुकसान को और बढ़ा सकती है। जाड़े के मौसम में केला के खेत की मिट्टी का हमेशा नम रहना जरुरी है। गीली मिट्टी सूखी मिट्टी की तुलना में गर्मी को बेहतर बनाए रखती है। ठंडी हवाओं के प्रभाव को कम करने के लिए विंड ब्रेक यानी वायुरोधी के रूप में 5 से 6 फीट चौड़ी एग्रोनेट या बोरों की टाटियां को उत्तर, पूरब और पश्चिम दिशा में खेत के किनारों या मेड़ों पर लगाने से शीतलहर से फसलों को बचाया जा सकता है। शाम के समय खेत में हवा की दिशा में घास-फूस जलाकर धुआं करने से 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से ठंड का असर कम होता है। मिट्टी के तापमान अनुकूल बनाए रखने के लिए पौधों के चारों तरफ जैविक मल्चिंग करें। पौधे के बेहतर वृद्धि के लिए नीचे की संक्रमित, क्षतग्रिस्त या मृत पत्तियों को समय हटाते रहें। ठंड से पौधों को बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम या घुलनशील सल्फर 2.5 ग्राम या तरल सल्फर 3.0 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर कम से कम 300 लीटर पानी प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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