चिकित्सक ने गर्भवती से बेंचा खून, मामला खुलने पर भी एक्शन नहीं
Siddhart-nagar News - सिद्धार्थनगर के माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर रेजिडेंट ने गर्भवती रेशमा के तीमारदारों से छह हजार रुपये में रक्त बेचा। मामला खुलने पर तीमारदार ने सीएमएस को शिकायत की, लेकिन अब तक कोई...

सिद्धार्थनगर, हिन्दुस्तान टीम। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक द्वारा रक्त बेचने का मामला सामने आया है। एमसीएच विंग के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में तैनात जूनियर रेजिडेंट (जेआर) ने प्रसव के लिए भर्ती डुमरियागंज क्षेत्र के बहडिलिया गांव की गर्भवती रेशमा के तीमारदारों से छह हजार रुपये में एक यूनिट रक्त बेंचा है। मामला खुलने पर शिकायत हुई, बावजूद कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी है।
दरअसल, डुमरियागंज क्षेत्र के बहडिलिया गांव निवासी रेशमा (25) पत्नी अलतमस गर्भवती थी। यह अपने मायका बढ़नी ब्लॉक क्षेत्र के गड़रखा गांव के टोला मोहनकोली में रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रही थी। प्रसव पीड़ा होने पर पिता अब्दुल सलाम ने बेटी को अप्रैल माह के पहले सप्ताह में मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती कराया। इस दौरान यहां तैनात दो जूनियर रेजिडेंट ने शरीर में रक्त की कमी बताते हुए कहा कि दो यूनिट रक्त चढ़ाए बगैर प्रसव हो पाना संभव नहीं है। जूनियर रेजिडेंट ने रक्त दिलवाने के एवज में रुपये की मांग की। दो यूनिट रक्त के लिए 20 हजार रुपये व एक यूनिट रक्त के लिए 12 हजार रुपये की मांग की। तीमारदार द्वारा गरीबी का हवाला देते हुए किसी तरह छह हजार रुपये की व्यवस्था होने की बात कही गई। चिकित्सक ने छह हजार रुपये लेकर तीन अप्रैल को ब्लड बैंक से ओ पॉजिटिव एक यूनिट रक्त देने का रिक्मंड किया। यह रक्त जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत नि:शुल्क मिल गया। अगले दिन चार अप्रैल को फिर चिकित्सक ने एक यूनिट रक्त की जरूरत बताते हुए तीमारदार को ब्लड बैंक भेजा। इस दौरान ब्लड बैंक पहुंचते ही तीमारदार ने कहा कि एक यूनिट रक्त और चाहिए लेकिन पैसा नहीं है। यह सुनते ही कर्मी अवाक रह गए। कर्मियों ने कहा कि एक दिन पहले दिया गया एक यूनिट रक्त नि:शुल्क दिया गया था। इस पर तीमारदार ने बताया कि पहले दिया गया रक्त नि:शुल्क नहीं लिया गया था, बल्कि उसके एवज में छह हजार रुपये दिया गया है। चिकित्सक के खेल का यह मामला खुलते ही कर्मी सन्न रह गया। मामला सीएमएस डॉ. एके झा तक पहुंचा। पीड़ित तीमारदार अब्दुल सलाम ने उस जूनियर रेडिजेंट के विरुद्ध सीएमएस को पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। सीएमएस ने पत्र को प्राचार्य को फारवर्ड कर दिया, बावजूद कार्रवाई तो दूर पत्र मिलने से ही प्राचार्य ने इनकार कर दिया है।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में बेटी को प्रसव के लिए भर्ती कराया था। इस दौरान रक्त के नाम पर चिकित्सक ने छह हजार रुपये ले लिया था। मुझे रक्त नि:शुल्क मिलने की जानकारी नहीं थी। जानकारी होने पर सीएमएस के पास शिकायत की। शिकायत को प्राचार्य के पास फारवर्ड किया गया। उनके पास गया तो उन्होंने कहा कि कोई पैसा मांगता है तो सीधे मुझसे शिकायत करें। इस मामले में चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग की थी। पैसा वापस हो गया था।
अब्दुल सलाम, तीमारदार
गर्भवती के तीमारदार को जूनियर रेजिडेंट द्वारा रक्त बेंचने का मामला सामने आया था। पीड़ित तीमारदार शिकायती पत्र लेकर आया था। शिकायती पत्र को प्राचार्य को फारवर्ड कर दिया गया था। कार्रवाई उन्हीं के स्तर से होनी है। हालांकि पीड़ित का मामला सुनने के बाद दूसरा यूनिट रक्त भी नि:शुल्क कराया गया था।
डॉ. एके झा, सीएमएस
जूनियर रेजिडेंट द्वारा रक्त बेचने के मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है। रक्त बेंचने की हवा उड़ी थी लेकिन सत्यता पता नहीं चली है। ऐसे में किसी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रो. डॉ. राजेश मोहन, प्राचार्य
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