बांसी राजघराने से जुड़ा है चंचाई माता का मंदिर
बांसी, हिन्दुस्तान संवाद। बांसी के आजादनगर शीतलगंज मोहल्ले में अति प्राचीन और ऐतिहासिक चंचाई माता के मंदिर पर सुबह शाम भक्तों की भारी भीड़ हो रही
बांसी, हिन्दुस्तान संवाद।
बांसी के आजादनगर शीतलगंज मोहल्ले में अति प्राचीन और ऐतिहासिक चंचाई माता के मंदिर पर सुबह शाम भक्तों की भारी भीड़ हो रही है। देवी का दर्शन कर अपनी-अपनी मन्नतें मांग रहे हैं। इस अति प्राचीन मंदिर की अपनी एक बहुत ही प्राचीन विशेषता भी है। यह मंदिर बांसी राजघराने से जुड़ी हुई बताई जाती है।
आजादनगर मोहल्ले के शीतलगंज पोखरे के उत्तर तरफ अति प्राचीन चंचाई माता का मंदिर स्थापित है। पहले खंडहर के रूप में रहा बाद में श्रद्धालुओं के अथक प्रयास से इस मंदिर का नवीनीकरण और सुंदरीकरण कराया गया। इस मंदिर का प्राचीन इतिहास है। राजघराने से भी जुड़ा हुआ है। आजादनगर मोहल्ला निवासी देवेंद्र नाथ मिश्र, गिरीश चंद्र पांडेय का कहना है कि बांसी नरेश जब मगहर से बांसी आ रहे थे तो साथ में देवी भवानी को भी ला रहे थे। इस दौरान माता के साथ भी दूध की धार चल रही थी, परंतु मगहर से बांसी पहुंचे बांसी नरेश के साथ माता के साथ चल रहा दूध की धार इसी जगह टूट गई जिससे विवश होकर बांसी नरेश को माता की स्थापना करानी पड़ी। बाद में चंचाई माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। यहां प्रतिवर्ष शारदीय और वासंती नवरात्र में शतचंडी महायज्ञ का आयोजन होता है। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि माता जी के मंदिर की स्मृति बनाए रखने के लिए ही मंदिर के ठीक बगल में मोहल्ले वासियों के सहयोग से एक धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया है।
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