भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों परम सौभाग्य की बात
Siddhart-nagar News - सिद्धार्थनगर के सुकरौली गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य दिव्यांशु ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण से प्रेम किया और विवाह के लिए उन्हें...

सिद्धार्थनगर, निज संवाददाता। नौगढ़ क्षेत्र के सुकरौली गांव में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा में श्रीसिहेंश्वरी देवी मंदिर के व्यवस्थापक और कथा व्यास आचार्य दिव्यांशु ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि किस तरह रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण से प्रेम किया और श्रीकृष्ण ने उनका हरण कर उनसे विवाह किया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों परम सौभाग्य की बात है। श्रीमद्भागवत कथा मन की व्यथा को दूर करती है। उन्होंने बताया कि रुक्मिणी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं और उन्होंने बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपने हृदय में पति के रूप में स्वीकार कर लिया था। उनका भाई रुक्म, श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को एक पत्र भेजा, जिसमें उसने अपनी इच्छा व्यक्त की कि वह श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती है। पत्र में रुक्मिणी ने बताया कि वह प्रतिदिन पार्वती की पूजा करने के लिए मंदिर जाती हैं। श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जाएं। रुक्मिणी ने कहा कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। पार्वती के पूजन के लिए जब रुक्मिणी आईं, उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए और उनसे विवाह कर लिया। रुक्मिणी के पिता ने रीति-रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया और इंद्रलोक से सभी देवताओं द्वारा पुष्पों की वर्षा की गई। इस अवसर पर रामलौट त्रिपाठी, गीता देवी, पंडित शारदा प्रसाद पांडेय, पंडित विक्रम शास्त्री, नितिन शास्त्री, रवींद्र त्रिपाठी, पिंटू त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।