हज़रत अली ने आपसी प्रेम व भाईचारा का दिया संदेश
Siddhart-nagar News - 14 एसआईडीडी 21: डुमरियागंज के हल्लौर स्थित ज़ामा मस्जिद हज़रत अली के जन्मदिन पर रोशनी से सजी हुई,
सिद्धार्थनगर, हिन्दुस्तान टीम। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के दामाद हज़रत अली अस का जन्म दिवस मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जगह-जगह तकरीर, महफ़िल, मिलाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौलाना शाहकार हुसैन ने कहा कि दुनिया वालों को आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ जीवन जीने के लिए हज़रत अली ने सीख दी थी। उसी आधार पर हम लोगों को जिंदगी गुजारने की जरूरत है।
सोमवार रात हल्लौर ज़ामा मस्जिद में हज़रत अली जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित महफिल कार्यक्रम की शुरुआत महबूब अली ने कलाम पाक पढ़कर किया। मौलाना शाहकार हुसैन ने कहा कि अरबी माह के 13 रजब को सऊदी अरब के मक्का शहर स्थित काबा के पवत्रि स्थल पर हज़रत अली का जन्म हुआ था। शिया समुदाय के लोग अपना पहला इमाम मानते हैं। उन्होंने अपने अच्छे किरदार से दुनिया वालों को दिखाया कि इस्लाम अहिंसा के पक्ष में है। वह गरीबों, बेसहारा और यतीमों का बहुत ख्याल रखते थे। हज़रत अली उस जमाने के सबसे बड़े आलिम थे उनके शासन काल में लिए गए फैसलों से कोई भी मज़लूम मायूस नहीं होता था। वह अक्सर आम आदमी की तरह अपने लोगों के बीच रात के अंधेरों में पहुंचकर उनका सुख दुःख जानकर उनकी मदद करते थे। उन्होंने कहा कि जन्मदिवस पर चाहने वाले तकरीर, महफ़िल आदि का आयोजन कर जश्न मनाते हैं। हज़रत अली के बेहतरीन किरदार से हमें सीख लेकर उनकी शिक्षा के आधार पर सुकून भरी जिंदगी जीने की जरूरत है। हज़रत अली जन्मदिवस हल्लौर सहित भटगवा, तिलगडिया, हटवा, नौवां गांव आदि में धूमधाम से मनाया गया। मस्जिदों व घरों पर तकरीर, महफ़िल का आयोजन किया गया। इस दौरान अजीम हैदर लल्ला, तशबीब हसन, काजिम रज़ा, हसन ताकीब, गुलाम अली, मोहम्मद मेहंदी, इशरत जमील आदि मौजूद रहे।
महफ़िल में शायरों ने पढ़ा कलाम
ज़ामा मस्जिद हल्लौर में हज़रत अली जन्मदिवस पर आयोजित महफिल में स्थानीय शायरों ने उनकी शान में कलाम पढ़ा। शायर हसन जमाल ने काम मुश्किलों में आए सबकी बिगड़ी बनाए वहीं मौला हमारा अली-अली, तंजीम हैदर ने आज काबा में अली पैदा हुए अल्लाह-अल्लाह, बशारत रिजवी ने ये दुनिया अली की जमाना अली का पढ़ा जिसे सुनकर श्रोताओं ने खूब वाहवाही की। इसके अलावा खुर्शीद जफर, नौशाद, काजिम, कायनात, शमशाद, आले रज़ा, मंजर, जाबाज हैदर, कामयाब, तंजीम हैदर, खुलूस, अफसर मेहंदी, मीसम, अजादार हुसैन, फैजी छोटे, हैदर, रैना आदि ने हज़रत अली की शान में कलाम पढ़कर खिराज-ए-अकीदत पेश की।
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