दुख से बचने के लिए बुद्ध की शिक्षा आज भी कारगर
Shravasti News - इकौना में पांच-दिवसीय बौद्धिक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानाचार्य राम बिहारी वाजपेई और मुख्य अतिथि डा अवनीश तिवारी ने बुद्ध के अष्टांग योग पर चर्चा की। उन्होंने जीवन में दुख से छुटकारा...

इकौना,संवाददाता। अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ के तत्त्वावधान में पांच-दिवसीय बौद्धिक कार्यशाला का आयोजन जगतजीत इंटर कॉलेज इकौना में किया जा रहा है। शनिवार को कार्यशाला की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम बिहारी वाजपेई ने की। कार्यशाला के दूसरे दिन शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डा अवनीश तिवारी मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि जीवन दुख में है। इसकी निवृत्ति के लिए बुद्ध भगवान की ओर से निर्दिष्ट अष्टांग योग को आचरण बनाकर ही विमुख की अनुभूत की जा सकती है। यही बुद्ध शिक्षा एवं बुद्ध का अनुशासन का सार है। इसी से सील समाज और प्रज्ञा की प्राप्ति संभव है। इसी अवस्था में क्षमा,दया,करुणा, सत्य, अहिंसा और प्रेम का भाव स्वत: अभीभूत होता है।
इसी तरह से श्राप, वरदान ,कृपा, कोप वितण्डावाद विलीन जाता है। साथ ही स्वस्थ व निरोग रहने के भी उपाय भी सुझाये। प्रधानाचार्य राम बिहारी वाजपेई ने कहा कि सत्य कर्म करने वाला चाहे जहां रहे, वहां प्रसन्न रहेगा। इसी तरह से धन, पद ,प्रतिष्ठा ,जमीन ,जायदाद ,परिवार रूप आदि हमारी सच्ची उपलब्धियां नहीं है। आवश्यकता अनुसार यह सभी जरूरी हैं। लेकिन राग,द्वेष, मोह, लोभ के वशीभूत व्यक्ति इन्हें ही जब सुख समझ कर इन्हीं में डूब जाता है। इसलिए दुखी रहता है। भौतिक वस्तुओं से सुख शांति नहीं मिल सकती। इस अवसर पर शिक्षक उदय भान पांडेय, जेपी गौतम, दिवाकर शुक्ला, हनुमान प्रसाद आदि छात्राएं व शिक्षक मौजूद रहे।
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