अपना घर आश्रम में हुआ तीन माह से बिछड़े प्रभुजी का परिजनों से मिलन
28 अगस्त को एक मानसिक रूप से कमजोर पुरुष प्रभुजी को आश्रम शामली में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति में सुधार होने पर, गांव के प्रधान से बातचीत की गई, लेकिन पहचान नहीं हो सकी। अंततः पुलिस की मदद से पता...
शामली। गत 28 अगस्त को एक पुरुष (प्रभुजी) को बलवा बाईपास से विनोद कुमार की सूचना पर अपना घर आश्रम शामली की रेस्क्यू टीम द्वारा सेवा एवं उपचार के लिए आश्रम में भर्ती कराया गया था। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और शारीरिक रूप से भी बहुत कमजोर थे। अपना घर आश्रम द्वारा उनकी सेवा की गई एवं डा. अरुण राय की देखरेख में उनका का उपचार कराया गया। प्रभुजी की मानसिक स्थिति ठीक होने लगी, जिस पर 10 अक्टूबर को प्रभुजी ने अपने घर के बारे में बताया कि उनका गांव जमालपुर जिला शाहजहांपुर है। कार्यालय द्वारा नेट से वहां के प्रधान का नम्बर लेकर प्रभुजी की वीडियो कॉल पर बात कराई गई। परन्तु प्रधान ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। अगले दिन प्रभुजी ने गांव का नाम तो नगमा जमालपुर ही बताया परंतु जिला एटा बताने लगे। कार्यालय द्वारा वहां भी बात की गई लेकिन प्रभुजी का वहां से भी कोई पता नहीं चला। प्रभुजी बार बार अपने जिला अलग अलग बताते रहे लेकिन गांव का नाम हर बार वही बताया। कार्यालय द्वारा प्रभु जी के बताए हर एक जिले में पता लगाया गया लेकिन किसी भी जिले से प्रभुजी का कोई पता नहीं लग पाया। कुछ दिन बाद 20 नवंबर को कालिका प्रभुजी की फिर से काउंसलिंग की गई। प्रभुजी के मुंह में दांत नहीं होने की वजह से उच्चारण सही नहीं हो पा रहा था।
इसलिए उनकी बात समझने में समस्या आ रही थी। 21 नवंबर को कार्यालय द्वारा पुनः जिला शाहजहांपुर के अंतर्गत पुलिस थाना रोजा के थानाप्रभारी राजीव कुमार को प्रभुजी की समस्त जानकारी देकर पता लगाने का निवेदन किया गया, उनके द्वारा त्वरित कारवाही की गई। तब पता लगा कि प्रभु जी के गांव नाम नौगवां है लेकिन प्रभुजी वर्तमान में अपने मामा के यहां गांव पुरवा पिपरिया जिला हरदोई में रहते है। पुलिस थाने द्वारा गांव पुरवा के प्रधान जी को कार्यालय का नम्बर दिया गया।प्रधान ने बताया कि प्रभुजी इस ही गांव में अपने मामा के यहां रहते है। उसके अपने परिवार में कोई नहीं है। 22 नवंबर को प्रधान ने प्रभुजी के मामा के लड़के नेपाल और प्रभुदयाल से बात करवाई। सोमवार को प्रभुदयाल अपने भाई नेपाल और प्रभुजी के मामा वासुदेव के साथ अपना घर आश्रम शामली आए और अपने साथ ले गए।
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