मां की ममता: जितन बेटों ने दुत्कारा उन्हीं की दीर्घायु को रखेगी अहोई अष्टमी का व्रत
अहोई अष्टमी के पर्व पर माताएं अपने बेटों की लंबी उम्र और सुख की कामना के लिए व्रत रख रही हैं, भले ही उनके बेटे उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ चुके हों। ये माताएं आज भी अपने बेटों के लिए प्रार्थना करती...
मां पिता जिस संतान के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देते है वहीं संतान एक दिन उन्हें अपने से पराया कर देती है, लेकिन मां पिता का दिल फिर भी उनकी सुख समृद्धि एवं लंबी आयु के लिए ही धड़कता है। आज अहोई अष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन मां अपने बेटों की दीर्घायु एवं मंगल कामना के लिए व्रत रखती है। जिन बेटों ने बुढ़ापे में बोझ समझ माता पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया वहीं माताए आज अहोई अष्टमी पर व्रत रखकर पुत्रों की दीर्घायु की कामना को व्रत रखेगी। बेटा कितना भी कठोर दिल हो लेकिन मां हमेशा बेटे की सलामती एवं दीर्घायु के लिए ही जीती है लेकिन लेकिन जब वही बेटा बड़ा होकर मां को लावारिस की तरह वृद्धाश्रम में छोड़ देता है तो उस मां पर क्या गुजरती होगी। झिंझाना के आवासीय वृद्धा आश्रम में ऐसी कई माताएं रह रही जिनके बेटों ने उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ दिया लेकिन आज भी वह उन बेटों की सलामती एवं सुख समृद्धि की कामना चाहती है। यहीं कारण है कि अहोई अष्टमी पर वृद्ध मताताएं बेटों की लंबी आयु, कामयाबी के लिए व्रत रखेगी। सुबह से शाम तक वह उन बेटों के लिए व्रत रखेगी जिन्होंने खुद ही उन्हें पराया कर दिया। वह बड़े उत्साह के साथ व्रत रखेगी और रात में तारों को अर्ध्य देकर व्रत खोलेगी। पावटी निवासी कमला देवी कहतीं हैं कि मेरा बेटा मजदूरी करता है, लेकिन पुत्रवधू झगडा करती है इसलिये वृद्धाश्रम में रह रही हूं। बेटा अपना फर्ज निभाएं न निभाए लेकिन मैं फर्ज निभा रही हूॅ। वही सुनीता निवासी शामली का कहना है कि बेटा प्राईवेट नौकरी करता है। बहू मुझे लेकर रोजाना विवाद करती थी इस कारण आश्रम में रहने लगी। मांगी अगड़ी पर दो बेटे हैं किसान है 25 बीघा जमीन है,बेटे खुश रहे उनके लिए लंबी आयु का व्रत करुगी। वृद्धाश्रम में रह रही राजबाला का भी कहना है कि वह बेटों के लिए अहोई माता का व्रत रखेगी।
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