श्रमिक हित की हुई सिर्फ बातें, योजनाएं से रहे वंचित
एक मई को देश में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया। हर साल की तरह इस बार भी गोष्ठियों में श्रमिकों के हित की बातें हुईं और सम्मेलनों का आयोजन कर उनकी समस्याओं को उठाया गया। यह सिलसिला सालों से चला...
एक मई को देश में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया। हर साल की तरह इस बार भी गोष्ठियों में श्रमिकों के हित की बातें हुईं और सम्मेलनों का आयोजन कर उनकी समस्याओं को उठाया गया। यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति और जीवन में अब तक कोई सुधार नहीं आ पाया।
जिसकी हकीकत असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को देखकर जानी जा सकती है। जिनके पास कहने को रोजगार है, लेकिन उनकी मेहनत का पारिश्रमिक इतना नहीं होता कि वे अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। ऐसे में एक श्रमिक का परिवार हमेशा तंगहाली की जिंदगी जीने को मजबूर रहता है।
नेताओं ने अपने फायदे के लिए जरूर श्रमिकों के हितों को साधा, लेकिन वे भी उन्हें उनके हिस्से की खुशी नहीं दिला सके, जबकि सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए तमाम योजनाएं चलाई जाती हैं। जिसका लाभ पात्रों को देने की जिम्मेदारी श्रम विभाग की होती है, पर वह भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग नहीं दिखता। इसी कारण पिछले नौ सालों में श्रम कार्यालय में सिर्फ 65 हजार श्रमिक ही पंजीकृत हो सके। इंटक जिलाध्यक्ष पवन सिंह का कहते हैं कि सरकार की योजनाएं काफी अच्छी हैं, लेकिन ये सिर्फ फाइलों में चलती हैं। श्रमिकों को इनका लाभ तब ही मिल पाएगा, जब श्रमिकों को योजनाओं की जानकारी मिले।
श्रमिकों के लिए कई योजनाएं सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिनमें शिशु लाभ योजना के अंतर्गत पंजीकृत मजदूर के घर में बेटा होने पर दो साल तक 12 हजार और बेटी के जन्म पर 15 हजार रुपये की सहायता मिलती है। मातृत्व शिशु लाभ योजना में छह हजार रुपया दो किस्तों में दिए जाने का प्रावधान है। बालिका मदद योजना में 25 हजार की एफडी की जाती है, बेटी की 18 साल की उम्र होने पर लाभ मिलता है।
कन्या विवाह सहायता योजना में 55 हजार रुपये शादी के लिए दी जाते हैं। संत रविदास शिक्षा सहायता के तहत छात्रवृत्ति के रूप में कक्षा एक से पांच तक 12 सौ रुपये, 6-8 तक 18 सौ रुपये, नौ से दस तक 24 सौ रुपये, 11 व 12 में तीन हजार, स्नातक में 12 हजार और परास्नातक में 24 हजार रुपये हर साल मिलता है। इसके अलावा मेधावी छात्र पुरस्कार योजना के तहत चार हजार से आठ हजार रुपये तक दिया जाता है। आवास सहायता योजना में मरम्मत के लिए 15 हजार रुपये मृत्यु अंतेष्टि सहायता योजना में दो लाख 25 हजार रुपये, दुर्घटना सहायता योजना में पांच लाख 25 हजार रुपये और चिकित्सा सुविधा योजना में तीन हजार रुपये की सहायता दी जाती है। साइकिल योजना में ढाई हजार तक की सहायता श्रमिकों को मिलती है।
यह हैं असंगठित क्षेत्र के मजदूर शाहजहांपुर में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों लगभग सभी क्षेत्रों में हैं। इनमें निर्माण से जुड़े कार्यों के अलावा रिक्शा चालक, मछुआरे, पशुपालक, बीड़ी रोलिंग करने वाले, ईंट भट्टों और पत्थर खदानों में लेबलिंग और पैकिंग करने वाले, निर्माण और आधारभूत संरचनाओं में कार्यरत श्रमिक, चमड़े के कारीगर, बुनकर, कारीगर, नमक मजदूर आदि शामिल हैं।
बाल श्रमिकों के लिए खुलने थे 60 स्कूल जिले में बाल श्रमिकों के लिए 60 स्कूल खोलने का प्रस्ताव भेजा गया था। जिनका संचालन बाल श्रम उन्मूलन जनपद समिति के माध्यम से होना था, स्कूलों में स्टाफ की भर्ती के लिए विज्ञापन भी निकाल दिया गया। लेकिन सालभर बीत जाने के बाद भी यह स्कूल नहीं खुल सके। जिस कारण तमाम बच्चे स्कूल न जाकर होटलों और ढ़ावों पर काम करते नजर आते हैं। श्रम विभाग के श्रम प्रवर्तन अधिकारी की माने तो जिले में बाल श्रमिकों की संख्या करीब 2400 के आसपास है। जिनका सर्वे पिछले सालों में एक कंपनी ने किया था।
66 - हजार श्रमिक श्रम कार्यालय में पंजीकृत हैं।
24 - हजार बाल श्रमिकों की संख्या जिले में है।
1.5 - लाख के करीब असंगठित मजदूरों की संख्या।
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