ट्रैक्युलाइज करने के सिवा अब कोई दूसरा रास्ता नहीं
दस दिन बीतने के बावजूद आपरेशन बाघिन बेनतीजा है। बाघिन किसी पिंजरे के आसपास नहीं...
दस दिन बीतने के बावजूद आपरेशन बाघिन बेनतीजा है। बाघिन किसी पिंजरे के आसपास नहीं फटकी। अब बाघिन को ट्रेक्युलाईज कर पकड़ने पर विचार हो रहा है।दूसरी तरफ टीम का कहना है कि पिंजरे हटाकर पुरानी जगह लगाएंगे। निर्देश मिलने पर ट्रेक्युलाइज कर बाघिन को पकड़ा जाएगा।
दो महीने से नगला इब्राहिम गांव के पास गन्ने में टिकी बाघिन को पकड़ने के लिए नगला मधा और मकरंदापुर गांव के पास गन्ने में दो पिंजरे लगाए गये हैं। आपरेशन बाघिन को अंजाम दे रही वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट की टीम ने एक सप्ताह बाघिन की लोकेशन ट्रेस कर पिंजरे लगाये थे, जो अब तक बेनतीजा रहे हैं।
दस दिन से बाघिन ने उधर का रुख नहीं किया है। बाघिन नगला इब्राहिम गांव के पुराने ठिकाने पर ही जमी हुई है। गन्ने और नहर के आसपास लगातार बाघिन के ताजे पगचिन्ह मिल रहे हैं। पिंजरों में रोज पड्डे बांधना और सुबह चारे पानी के लिए निकालना पड़ता है। इलाके में बाघिन के पगचिन्हों की तलाश भी टीम को रोज करना पड़ती है। इलाके में बाघिन की निगरानी के लिए बीस कैमरे लगाए गए हैं।कई दिन से चौकन्नी बाघिन किसी कैमरे के सामने भी नहीं आई है। बाघिन के रवैये ने टीम को थका दिया है।
टीम कभी पुराने ठिकाने पर पिंजरे लगाने पर विचार करती है, कभी ट्रेक्युलाइज करने पर, ट्रेक्युलाइज करने के लिए आला अफसरों की अनुमति लेनी होगी जो जल्दी नहीं मिलती। दूसरे आबादी के आसपास ट्रेक्युलाइज करना जोखिम भरा काम भी है। एक महीने से बाघिन के पीछे लगी टीम फिलहाल कोई फैसला नहीं कर पा रही। बाघिन रोजाना गांव की आबादी के आसपास विचरण कर रही है। बाघिन के रोज बोलने की आवाज से ग्रामीणों में दहशत है। गन्ने की फसल की कटाई बंद है। गन्ने के आसपास गेहूं की फसलें भी बगैर खाद पानी बरबाद हो रही है। इससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। किसानों का कहना है बाघिन को पकड़ने के लिए गलत जगह पिंजरे लगाए गये। पुराने ठिकाने पर पिंजरे लगते तो अब तक बाघिन पकड़ ली जाती| कुछ दिन और बाघिन न पकड़ी गयी तो फसल बरबाद होने से किसानों के परिवार भुखमरी का शिकार होंगे।
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