झोतूपुर के खेतों में शुगर के मरीजों की तैयार हुई संजीवनी
यह मधुमेय यानी शुगर के मरीजों के लिए किसी संजीवनी से कम भी नहीं है।
शुगर के मरीज मिठाई से परहेज करते हैं। पर यह तो शक्कर से भी तीन गुना मीठी होती है, लेकिन यह मधुमेह यानी शुगर के मरीजों के लिए किसी संजीवनी से कम भी नहीं है। मीठा खाने के बाद भी मीठे से होने वाले शारीरिक नुकसान को यह बचाता है, इसमें कैलोरी नहीं होती। यह स्टीविया नाम पौधा है, जिसमें औषधीय गुण हैं। यह शुगर नियंत्रण के साथ ही मोटापे पर भी अंकुश लगाता है। कैंसर होने पर यदि स्टीविया का उपयोग किया जाए तो बड़ा फायदा मिलता है। शाहजहांपुर जिले के निगोही के झोतूपुर गांव में रिसर्चर डा. अरविंद कुमार ने स्टीविया की पौध तैयार करनी शुरू कर दी है। स्टीविया के पौधों को न पशु खाते हैं और न ही इसमें कोई बीमारी लगती है।
जानिए लागत और कमाई के बारे में
-प्रति एकड़ में स्टीविया के 25 से 30 हजार पौधे लगाए जाते हैं
खेत में एक बार लगाया गया स्टीविया पौधा पांच साल तक चलता है
एक साल में चार बार पत्तियों को सुखा कर बिक्री किया जा सकता है
एक एकड़ में एक साल में 1 लाख 20 हजार रुपये तक कमाई होती हैं
स्टीविया की सूखी पत्तियों को पीस कर तैयार पाउडर कंपनियां खरीदती हैं।
लाभ भी जानिए
स्टीविया का पौधा कैलोरी फ्री होता है
स्टीविया ग्लूकोज को कंट्रोल करता है
शरीर में डायबिटीज नहीं बढ़ने देता
वसा जमा नहीं होने से मोटापे पर अंकुश
कैंसर के इलाज में भी काफी कारगर है।
अरविंद ने बताया कि डायबिटीज के रोगी स्टीविया पौध को सुखाकर पाउडर के रूप या चाय, दही में इस पत्ती को डालकर मिठास का मजा ले सकते हैं।
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