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गन्ने पर कीटों का हमला शुरू, शाहजहांपुर सहित 45 जिलों में अलर्ट

Shahjahnpur News - उत्तर प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों में बढ़ते तापमान से गन्ने की फसल पर कीटों का हमला बढ़ गया है। गन्ना शोध परिषद ने कीटों की रोकथाम के उपायों की तैयारी शुरू कर दी है। किसानों को बीज चयन और मृदा...

Newswrap हिन्दुस्तान, शाहजहांपुरSat, 22 Feb 2025 05:06 AM
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गन्ने पर कीटों का हमला शुरू, शाहजहांपुर सहित 45 जिलों में अलर्ट

उत्तर प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों के किसानों के लिए बढ़ता तापमान नई मुसीबत लेकर आ रहा है। जल्द गर्मी शुरू होने से गन्ने की फसल में अभी से अंकुर, चोटी, जड़ और तना बेधक कीटों का हमला शुरू हो रहा है। लाल सड़न का प्रभाव भी दिखते लगा है। पहले से खड़ी गन्ने की फसल में कीटों का प्रकोप 6 से 7 प्रतिशत देखने को मिल रहा है। इसी के मद्देनजर शाहजहांपुर स्थित गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने फील्ड विजिट कर कीटों की रोकथाम की तैयारियां शुरू कर दी हैं। साथ ही गन्रा उत्पादक जिलों को अलर्ट भी जारी किया है। गन्ना शोध संस्थान ने अभी वसंतकालीन गन्ने की बोआई के समय से भी कीटों की रोकथाम के लिए भी किसानों को तरीके बताए हैं। तापमान बढ़ने पर हमेशा ही कीटों का प्रकोप बढ़ता है। अप्रैल, मई और जून तक कीटों का प्रकोप सबसे अधिक होता है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर अभी से कीटों की रोकथाम के लिए उपाय कर लिए जाएं तो अप्रैल, मई और जून में होने वाले बड़े नुकसान से किसान बच सकते हैं। हाल में लखनऊ में हुई चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की पेराई सत्र 2024-25 के लिए गन्ना किस्म विस्थापन बीज बदलाव एवं वसंतकालीन बोआई को लेकर बैठक हुई थी। चर्चा हुई कि विगत महीनों में गन्ने की खड़ी फसल में अंकुर, चोटी, जड़ और तना बेधक कीटों एवं लाल सड़न के लक्षण कई स्थानों पर पाये गये थे। इसके दृष्टिगत आने वाले मौसम में इन रोग-कीटों के नियंत्रण के सम्बन्ध में ससमय शाहजहांपुर, खीरी, बरेली, पीलीभीत, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर आदि 45 गन्ना उत्पादक जिलों के किसानों के लिए आवश्यक एडवाइजरी जारी की जाए।

विशेषज्ञ का सुझाव

शाहजहांपुर स्थित उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी सुजीत प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों को सबसे पहले बीज का चुनाव और उसका शोधन कर लेना चाहिए। बताया कि इस समय वसंतकालीन गन्ना बोआई शुरू हो गई है। ऐसे में बीज चयन, शोधन के साथ ही मृदा शोधन भी किया जाना बेहद जरूरी है, जिससे कि कीटों से बचाव हो जाएगा। रसायनिक शोधन करने से उकठा रोग और अन्य रोग से भी गन्ने की फसल का बचाया जा सकता है।

बीज का चुनाव व शोधन

- बीज के प्रयोजन के लिए नर्सरी में तैयार स्वस्थ एवं रोग-कीट मुक्त बीज गन्ना अथवा स्वस्थ खेत से पूर्णतः रोग व कीट रहित गन्नों का चुनाव कर बोआई करें।

- एक या दो आंख के गन्ने के टुकड़ों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी या थायोफिनेट मेथाईल 70 डब्लू्पी या प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या एजॉक्सीस्ट्रॉबिन 18.2 डाईफेनॉकोनाजोल 11.4 एससी में से किसी एक फफूंदीनाशक का 1 ग्राम लेकर 1 लीटर पानी के अनुपात में तथा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 0.3 मिली 1 लीटर पानी या क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी का 1 मिली 1 लीटर पानी के अनुपात कीटनाशक के साथ घोल बनाकर पारम्परिक विधि द्वारा 10 मिनट अथवा पूरी रात डुबोकर शोधित कर बोआई करें।

मृदा का जैविक शोधन

- मृदा जनित रोगों से बचाव के लिए: मृदाजनित रोगों मुख्यतः उकठा, पाइन एपल, जड़ विगलन तथा लाल सड़न के उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा (10 किग्रा /हेक्टेयर) से शोधन अवश्य करें। लाल सड़न रोग के प्रबन्धन के लिए स्यूडोमोनॉस (10 किग्रा/हेक्टेयर) का भी प्रयोग किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा अथवा स्यूडोमोनॉस को 10 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 100-200 किग्रा कम्पोस्ट खाद के साथ मिलाकर 20-25 प्रतिशत तक नमी करके खेत की तैयारी के समय अन्तिम जुताई के पूर्व खेत में बिखेर देनी चाहिए अथवा बोआई के समय नालियों में प्रयोग करें।

- भूमिगत कीटों से बचाव के लिए: दीमक, सफेद गिडार तथा जड़ बेधक (लारवा) के नियन्त्रण के लिए बवेरिया बैसियाना अथवा मेटाराइजियम एनीसोपली का 5 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 1 या 2 कुन्टल सड़ी हुई प्रेसमड या गोबर की खाद में मिलाकर बोआई के समय प्रयोग करें।

रासायनिक शोधन

- उकठा रोग के बचाव के लिए : मृदा में बोरेक्स 15 किग्रा /हेक्टेयर, जिंक सल्फेट 25 किग्रा/हेक्टेयर तथा सूक्ष्म तत्वों की संस्तुति मात्रा में उपयोग कर शोधन अवश्य करें।

- भूमिगत तथा बेधक कीटों से बचाव के लिए : दीमक, सफेद गिडार तथा जड़ बेधक तथा अंकुर बेधक कीटों से बचाव को बोआई के समय निम्न रसायनों में से किसी एक रसायन का प्रति हेक्टेअर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

- गन्ने को सेट ट्रीटमेन्ट डिवाइस मशीन अथवा उष्ण जल उपचार (52 डिग्री से.ग्रे. तापमान पर 2 घण्टे) अथवा आर्द्र गर्म वायु उष्मोपचार (54 डिग्री से.ग्रे. 95-99 प्रतिशत आर्द्रता पर 2 घण्टे 30 मिनट) से उपचारित कर बोआई करें।

- फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत रवा दर 20 किग्रा. का लाइनों में बुरकाव।

- क्लोरेनट्रेनिलिप्रोल 0.5 प्रतिशत थायोमेथॉक्सम 1.0 प्रतिशत 10 किग्रा को लाइनों में बुरकाव ।

- क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल 0.4 प्रतिशत रवा 22.5 किग्रा का लाइनों में बुरकाव।

- बोआई के समय लाइनों में क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी घोल दर 5.0 ली. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रतिशत 500 मिली अथवा बाइफेन्थिन 10 ईसी का 1000 मिली को 1875 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेचिंग करें।

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