मां बोली : बेटा अरुण किस जन्म की सजा देकर जा रहे हो
अरुण की चाकू मारकर हत्या की बात सबको पता थी, लेकिन उसकी मां को नहीं। बुधवार रात से गुरुवार की दोपहर तक सभी अरुण की मां मीरा को घेरे हुए थे। बेटे के घायल होने की बात कहकर दिलासा दे रहे थे। मां को शक...
अरुण की चाकू मारकर हत्या की बात सबको पता थी, लेकिन उसकी मां को नहीं। बुधवार रात से गुरुवार की दोपहर तक सभी अरुण की मां मीरा को घेरे हुए थे। बेटे के घायल होने की बात कहकर दिलासा दे रहे थे। मां को शक हो गया था, लेकिन फिर भी ईश्वर से बेटे की सलामती की दुआ करती रही।
रोते-रोते बेहोश हो गई, फिर चीखती हुई उठी। बोली: बेटे की मौत हो गई है। तुम सब झूठ बोल रहे हो। बेटे ने सपने में बताया है। थोड़ी ही देर बाद अरुण का शव पहुंचा और मीरा बेटे की लाश से लिपटकर खूब रोई। बोली: मेरे लाल किस जन्म की सजा देकर जा रहे हो।
बाडूजई द्वितीय निवासी मृतक अरुण तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था। अरुण 11वीं कक्षा में पढ़ता था। अरुण की मां मीरा सिंधौली ब्लाक में सफाई कर्मी हैं। भाई राहुल और अर्जुन बदहवास हो गया। ससुराल से आई मृतक की बहन रुकमणी, ऊषा और आशा को महिलाओं ने संभाला। जब भी कोई रिश्तेदार मृतक के घर पहुंच रहा था। घर पर मौजूद महिलाएं उनको दरवाजे पर ही रोक लेतीं। एक कोने में ले जाती।
कहती कि अरुण की मौत की जानकारी मीरा को नहीं है। यह बात सुन रिश्तेदारों की आंख भर आती। फिर रिश्तेदार अपनी आंख के आंसू पोंछते और मृतक के घर जाकर उसकी मां को दिलासा देते। लेकिन यह आखिर कब तक चलता। गुरुवार दोपहर करीब सवा तीन बजे अरुण की लाश दरवाजे पर पहुंची। उसकी लाश को देखते ही सभी बिलख पड़े। देर शाम पुलिस सुरक्षा में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
तड़प रहा था अर्जुन लेकिन पूछताछ में जुटी रही
अरुण और उसके भाईयों पर हमला करने वाले चार लोग थे। वह गांव के लड़के बताए जा रहे हैं। अर्जुन की मानें तो हमलावरों के हाथों में औजार थे। लड़कों ने अरुण को चाकू मार दिया। खून बह रहा था। जख्मी भाई को लेकर कुछ दूरी पर तैनात पुलिस के पास अर्जुन पहुंचा। परन्तु पुलिस ने मेडिकल कॉलेज पहुंचाने के बजाय पूछताछ करनी शुरू कर दी। पुलिस मदद करती तो शायद ही अरुण की जान बच जाती।
अरुण हत्याकांड का खुलासा पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण है। क्योकि हमलावरों को कोई भी नहीं जानता कि आखिर वह कौन लोग थे, जिन्होंने बेवजह अरुण को मौत के घाट उतार दिया। सिर्फ सामने आने पर ही मृतक अरुण का भाई अर्जुन व उसके साथी हमलावरों को पहचान सकते हैं। वहीं, जिस जगह पर घटना को अंजाम दिया गया। वहां पर पुलिस की ड्यूटी लगी हुई थी, लेकिन घटना बाद में पता चली। रामलीला मेले के अलावा हर तिराहों-चौराहों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। मेले में हजारों की संख्या में भीड़ थी। सड़कों पर भी भीड़ ही भीड़ थी।
नहीं करती महिला पुलिस काम
गुस्साएं लोगों ने कहा कि महिला पुलिस कोई काम नहीं करती। एक जगह पर बैठी रहती है। कोई मदद मांगी जाए, तो बिगड़ जाती हैं। ऐसे में कोई महिला पुलिस से कैसे मदद मांगेगा।
बेवजह चली गई एक और जान
करीब दो माह पूर्व नुमाइश के दौरान विस्मिल पार्क के पीछे बेवजह चली गोली से दो निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। एक युवक जख्मी हो गया था। बुधवार रात हुई बेवजह लड़ाई से एक और जान चली गई, जिसमें कातिल का पता ही नहीं चल सका है।
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