खुले में न फेंकें कूड़ा, द्वार-द्वार जाएगी कूड़ा गाड़ियां: सीडीओ
Shahjahnpur News - किसान दिवस बैठक सीडीओ डा. अपराजिता सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में कूड़ा निस्तारण और पीएम सूर्य घर योजना के तहत सोलर पैनल पर चर्चा की गई। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कूड़ा उठाने के लिए ई-रिक्शा की...

किसान दिवस बैठक सीडीओ डा.अपराजिता सिंह की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में हुई। सीडीओ ने कहा कि शहरों की तरह ही कूड़ा निस्तारण को मेरा कूड़ा मेरी जिम्मेदारी के तहत के प्रत्येक ग्राम पंचायत में कूड़ा निस्तारण कराया जा रहा है। जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में आरसीसी सेन्टर की स्थापना तथा कूड़ा उठाने के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था की जा रही है। डीएम द्वारा प्रति घर प्रति माह 50 रुपये निर्धारित है। उन्होंने कहा कि कूड़ा घर के बाहर खुले में फेंकने से वह रोग के रूप में फिर से घर में वापस आएगा, किसी भी दशा में कूड़ा घर के बाहर खुले में न फेंकें, कूड़े वाली गाड़ी प्रतिदिन आएगी उसी में घर का कूड़ा डालें। उक्त बैठक में परियोजना निदेशक, यूपी नेडा ने पीएम सूर्य घर योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना में प्रति किलोवॉट सोलर पैनल लगाने में लगभग 60-65 हजार का व्यय आता है तथा प्रति किलोवॉट भारत सरकार से 30000 तथा राज्य सरकार द्वारा 15000 का अनुदान अधिकतम 3 किलोवॉट तक 108000 दिया जा रहा है। इससे घरेलू बिजली के बिल में बचत हो सकती है। उक्त सोलर पैनल 25 वर्ष तक कार्य करता है। निजी नलकूपों पर भी सोलर पैनल लगाने पर 90 प्रतिशत अनुदान है। यह भी ऑनग्रिड योजना है अर्थात जितनी बिजली प्रयोग में लाई जाएगी, उससे अधिक बिजली बनने पर ग्रिड में चली जाएगी तथा यदि खपत अधिक हो रही है तो ग्रिड से बिजली प्रयोग में लाई जाएगी, जिसका माह के अन्त में उत्पादन व खपत का यूनिट से यूनिट एडजस्ट हो होगा। दुधारू पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के सम्बन्ध में भी अवगत कराया गया। दुधारू पशुओं में बांझपन की समस्या के बारे में चर्चा की गयी। जिसमें बताया गया कि बांझपन कोई रोग नहीं है, यह पशुओं के खानपान तथा उचित रखरखाव में कमी के कारण उत्पन्न होता है। डा. पीके कपिल ने कहा कि बसन्तकालीन गन्ने की बुवाई का यह सबसे उचित समय है, किसान चीनी मिल अथवा प्रतिष्ठित संस्थान से ही गन्ना बीज का क्रय करें, नहीं तो धोखे की सम्भावना होती है। गन्ने के साथ जायद की फसलों को भी सहफसली के रूप में ले सकते हैं जैसे खीरा, लौकी, उर्द आदि। डीडी कृषि धीरेंद्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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