परशुराम लक्ष्मण संवाद लीला का भावपूर्ण मंचन किया
जैतीपुर में श्रीराम जानकी रामलीला में परशुराम और लक्ष्मण के संवाद का भावपूर्ण मंचन किया गया। धनुष भंग होते ही पंडाल में जय श्री राम का जयघोष गूंज उठा। राजा जनक की चिंता पर लक्ष्मण ने वीरता का प्रदर्शन...
जैतीपुर। श्रीराम जानकी रामलीला में परशुराम लक्ष्मण संवाद लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। जैसे ही श्री राम ने धनुष भंग किया पूरा पंडाल जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा। रामलीला में दिखाया गया कि धनुष यज्ञ में जब दुनिया के कोने-कोने से आए राजा धुनष भंग न कर सके। इस पर राजा जनक दुखी होकर कहते हैं कि यदि उन्हें मालूम होता कि धरती वीरों से खाली है तो वह ऐसी प्रतिज्ञा कभी भी न करते है। लगता है अब उनकी बेटी सीता कुंवारी ही रह जायेगी। इतना सुनते ही लक्ष्मण जी क्रोधित हो उठते है। लक्ष्मण कहते है यदि गुरु विश्वामित्र की आज्ञा मिल जाये तो इस धनुष की बात छोड़िए वह ब्रह्मांड को गेंद की भांति उठा सकते। इसके बाद विश्वामित्र के इशारे पर श्रीराम जी उठते है। वह पल भर में धनुष भंग कर देते है। धनुष टूटने की आवाज पर भगवान परशुराम आ जाते हैं। शिवजी का टूटा धनुष देखकर भगवान परशुराम आग बबूला हो जाते हैं।
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