इसी तरह बदलता रहा मौसम तो घट जाएगी गेहूं की उपज
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर में गेहूं की खेती के लिए मौसम अनुकूल नहीं है। चटख धूप और कोहरे की कमी से किसानों की चिंता बढ़ गई है। अगर यही हालात रहे तो उपज 35 से 40 प्रतिशत तक कम हो सकती है। दूसरे फसलों के लिए मौसम...
हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। मौसम का मिजाज गेहूं की खेती के लिए अनुकूल नहीं दिख रहा है। सुबह से ही निकली चटख धूप ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। यही हाल रहा तो जल्द समय से पहले गेहूं की बालियां निकल आएंगी और उपज 35 से 40 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। हालांकि इस प्रकार का मौसम दलहन और तिलहन के लिए बेहतर माना जा रहा है। ठंडक के मौमस में गेहूं की बेहतर उपज होती है। बालियां निकलने तक ठंडक पड़ रही है तो गेहूं के दानों की सेटिंग बेहतर होती है और दाना भी मजबूत होता है। समय से पहले हीटवेव आ गया तो जल्द ही बालियां निकल आती हैं। बालियों की साइज छोटी होने के साथ- साथ दाने भी कमजोर हो जाते हैं। इस वर्ष का मौसम गेहूं की खेती के लिए बिल्कुल अनुकूल नहीं रहा। सितम्बर माह की बरसात ने रबी फसल की बुआई को पीछे कर दिया। 15 नवम्बर तक गेहूं के फसल की जो बुआई हो जाती थी वह बुआई 15 दिसम्बर के बाद शुरू हुई। एक तो देर से गेहूं की बुआई शुरू हुई और दूसरे जिस प्रकार की ठंडक की उम्मीद किसान कर रहे थे वह अभी तक नहीं शुरू हुई। 15 फरवरी के बाद ठंडक पूरी तरह से समाप्त मानी जाती है। जनवरी माह का प्रथम पखवारा बीत चुका है। दूसरा पखवारा चल रहा है, लेकिन ठंडक अभी तक नहीं पड़ी है।
पूरे सत्र के दौरान अब तक मात्र तीन दिन ही कोहरा पड़ा है। कोहरा नहीं पड़ने और दिन में चटख धूप निकलने की वजह से गेहूं की फसल चौपट होने की आशंका है। हालांकि दूसरे फसलों के लिए यह मौसम पूरी तरह से लाभकारी माना जा रहा है। कृषि विज्ञान केद्र के वैज्ञानिक राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि कोहरा भले ही नहीं पड़ा है, लेकिन ठंडक पड़ रही है। इस प्रकार भी मौसम बना रहा तो गेहूं की उपज ठीक होगी। यदि गर्मी बढ़ती गई तो हीटवेव जैसे ही शुरू होगा, वैसे ही गेहूं की फसल में मारा चला जाएगा। उन्होंने बताया कि तापमान में इजाफा होते ही गेहूं की बालियां निकल आती हैं, उपज 35 से 40 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है। उन्होंने बताया कि 15 फरवरी के बाद का तापमान निर्भर करेगा कि उपज कैसी होगी। किसान जोखन चौधरी ने कहा, गेहूं फसल के अनुकूल मौसम बिल्कुल नहीं है। बारिश नहीं होने पर फरवरी माह में गेहूं की सिंचाई करनी पड़ती थी। इस वर्ष 15 दिसम्बर में गेहूं बोया गया और जनवरी में दूसरी सिंचाई की नौबत आ गया गई है। इसी प्रकार का मौसम बना रहा तो जनवरी माह में ही गेहूं की दूसरी सिंचाई करनी पड़ेगी। किसान परमात्मा यादव ने कहा कि इस प्रकार का मौसम कभी देखा नहीं गया था। पूरे सत्र में सात से आठ ही दिन ठंडक पड़ी है। कोहरा तो पड़ा ही नहीं। यदि इसी प्रकार का मौसम बना रहा तो गेहूं की उपज आधी रह जाएगी। इस क्षेत्र में ज्यादातर गेहूं की खेती की जाती है।
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