गुदड़ी के लालों ने यूपी बोर्ड परीक्षा में किया कमाल
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले के मेधावी छात्रों ने बोर्ड परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। ये छात्र आधुनिकता और मोबाइल फोन से दूर रहकर किताबों के अध्ययन के माध्यम से टॉप टेन में आए हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के ये छात्र...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में छात्रों के आए बोर्ड परीक्षा में परचम लहराने वाले ज्यादातर मेधावी गुदड़ी के लाल हैं। आधुनिकता की चकाचौंध, मोबाइल के बजाय इन मेधावियों ने नियमित क्लास, किताबों के अध्ययन के बदौलत परीक्षा में न सिर्फ परचम लहराया, बल्कि जिले के टॉप टेन सूची में स्थान बनाया है। टॉप टेन में शामिल वे छात्र हैं जिन्हें घर पर बहुत अधिक सुविधा नहीं मिल पाती है। उन्हें तैयारी के लिए न मोबाइल फोन मिला है और न ही इंटरनेट की कोई व्यवस्था है। टॉपर छात्र, छात्रा पूरी तरह से ग्रामीण पृष्ठ भूमि से जुड़े हैं। शहरी क्षेत्र के छात्र इनसे पिछड़ गए। सारी सुविधा होने के बावजूद शहरी बच्चे सुदूर गांवों में रहने वाले इन मेधावियों से पीछे रह गए।
वर्तमान समय में युवा वर्ग का विश्वास किताबों की जगह मोबाइल पर ज्यादा हो गया है। शहरी क्षेत्र के ज्यादातर छात्र-छात्रा मोबाइल के सहारे ही अपनी पढ़ाई करते देखे जा रहे हैं। उनकी किताबों से दूरी जहां उनके ज्ञान को कमजोर कर रही है वहीं वे पिछड़ भी रहे हैं। यूपी बोर्ड के परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि किताबों का कोई विकल्प नहीं है। इंटरमीडिएट में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली खुशबू मेंहदावल क्षेत्र की रहने वाली है और उसके पिता किराना की दुकान चलाते हैं। वहीं हाईस्कूल का टॉपर अमरजीत चौधरी भी मेंहदावल क्षेत्र का ही रहने वाला है और किसान का पुत्र है। ये दोनों आधुनिकता से पूरी तरह से दूर रहे। अथक परिश्रम किया और शिक्षकों के सानिध्य में तैयारी की। हाईस्कूल में दूसरा स्थान पाने वाली शिवांगी धनघटा तहसील के अति पिछड़े पौली ब्लाक क्षेत्र की है और यहीं के विद्यालय में ही पढ़ाई कर रही थी। तीसरा स्थान पाने वाली अंकिता मिश्र, चौथा स्थान पाने वाली जयश्री मेंहदावल के ग्रामीण क्षेत्र की हैं। इन सभी ने कहा कि किताबों का कोई विकल्प नहीं है। नियमित विद्यालय जाने के साथ ही गुरुजनों के मार्गदर्शन में तैयारी कर यह सफलता अर्जित किया है।
इंटरमीडिएट में जिले में दूसरा स्थान पाने वाली नूतन पांडेय बखिरा के सामान्य परिवार की हैं और आधुनिकता की चकाचौंध से बिल्कुल दूर हैं। तीसरा स्थान हासिल करने वाले रूबी मौर्य की माने तो वह मोबाइल से पूरी तरह से दूर रहीं। विद्यालय में जो पढ़ाया गया उसी के बदौलत जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। हालांकि वह अपने परिणमा से खुश नहीं रही। रूबी की माने तो उसे प्रदेश में रैंक ले आने की उम्मीद थी।
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