कुत्ता और बिल्ली के लिए काल बन गया है पारवो वायरस
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर में पारवो वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, खासकर कुत्तों में। फरवरी से अप्रैल के बीच गैर पालतू कुत्तों की तादाद 70 से 80 प्रतिशत तक कम हो जाती है। अगर समय पर इलाज न किया गया तो यह...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मौसम का बदलाव होते ही फरवरी से लेकर अप्रैल तक पारवो वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है। इस वायरस का प्रकोप अधिकतर कुत्ता और बिल्ली पर होता है। यही कारण है कि गैर पालतू कुत्तों की तादाद फरवरी से अप्रैल माह के दौरान 70 से 80 प्रतिशत तक समाप्त हो जाती है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि समय पर इलाज न मिले तो कुत्तों की जान चली जाती है। इससे बचाव के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है। जिले में प्रतिदिन तीन से चार संक्रमित कुत्तों का इलाज पशु चिकित्सालयों में किया जाता है।
कुत्ता सबसे वफादार जानवर माना जाता है। यही कारण है कि लोग कुत्तों को बड़े प्यार से पालते हैं। कुत्तों में फरवरी माह से लेकर अप्रैल माह के बीच में पारवो वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है। पारवो वायरस संक्रमित कुत्तों के मल या उनके सीधे संपर्क में आने से फैलता है। अगर किसी पारवो इन्फेक्टेड कुत्ते के संपर्क में कोई कुत्ता आता है तो उसे यह बीमारी तुरंत हो जाती है। पानी के कटोरे, घास, बर्तन के संपर्क में आने पर भी इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं। अगर इस वायरस का समय पर इलाज न कराया जाए तो यह कुत्तों की जान चली जाती है।
पारवो के लक्षण
हर बीमारी की तरह पारवो के लक्षण भी कुत्ते में दिखने लगते हैं। संक्रमित होने पर कुत्ते को भूख लगनी बंद हो जाती है। उल्टी-दस्त होना शुरू हो जाता है। बीमारी और बिगड़ने पर उलटी और मल के रास्ते कुत्तों को खून भी आने लगता है। बीमारी होने पर वायस्क कुत्तों के बचने की संभावना अधिक होती है अपेक्षाकृत बच्चों के।
कुत्ता यदि पारवो से संक्रमित हो जाए तो इसका कोई इलाज नहीं है। बीमारी गंभीर न हो, इसलिए लक्षणों के आधार पर उसका इलाज किया जाता है। पारवो से बचाव के लिए हर साल इसकी वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। कुत्तों के पिल्लों को डेढ़ माह पर परवो के पहले डोज का टीका लगाया जाता है। इसके 21 दिन बाद बूस्टर डोज दिया जाता है। उसके बाद तीन सप्ताह बाद तीसरा बूस्टर डोज लगाना जरूरी है। तीन डोज के बाद हर वर्ष पारवो का एक टीका लगाया जाए तो कुत्तों में यह बीमारी नहीं होने पाएगी।
डा. अशोक कुमार त्रिपाठी, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
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