नगर वाली माता सबका करती हैं कल्याण
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के मेंहदावल कस्बे में नगरवाली माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि माता के दरबार से कोई खाली नहीं लौटता। महायोगी महेन्द्रनाथ की तपस्या के बाद माता ने दर्शन देकर...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल कस्बे में स्थित नगरवाली माता का मंदिर सदियों से लोगों के आस्था का केन्द्र है। मान्यताओं के अनुसार मां के दरबार से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता। माता नगर निवासियों के साथ ही गैर जनपद व अन्य स्थानों से आए श्रद्धालुओं की मनौतियां पूरी करती हैं। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार आज जिस स्थान पर माता का मंदिर स्थित है, वहां काफी घना जंगल हुआ करता था। लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व महायोगी महेन्द्र नाथ अपनी नेपाल यात्रा के दौरान इसी स्थान से गुजर रहे थे। थके होने पर थोड़ी देर विश्राम के लिए रुके तो उन्हें हल्की सी नींद आ गई। नींद में ही माता ने महायोगी को दर्शन दिया। जब महायोगी उठे तो अपने शिष्यों के साथ विचार विमर्श कर यहीं तपस्या पर बैठ गए।
कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद माता दुर्गा ने अपने अष्टभुजी स्वरूप का दर्शन दिया। खुद को नगर देवी बताते हुए महायोगी की तपस्या सफल होने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद योगी ने वहां माता की एक चौरी की स्थापना की। जहां आस-पास के लोग पूजन-अर्चन करने लगे। तभी से यह स्थल मेंहदावल व आस पास के जनपदों के लोगों की आस्था का केन्द्र बना है। पंडित तारानाथ के चौथी पीढी के वंशज यहां माता की पूजा-अर्चन करते चले आ रहे हैं।
नवरात्र के साथ ही मंगलवार को भक्तों की होती है भीड़
चैत्र व शारदीय नवरात्र में पूरे नौ दिनों के अलावा हर मंगलवार को यहां भारी भीड़ होती है। मंदिर परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे माता के परम भक्त महेन्द्रनाथ की स्थापित की हुई पिंडी है। जहां आज भी भक्तगण श्रद्धा के साथ सिर झुकाते हैं। माता नगरवाली की पूजा करने से माता सारे अधूरे कार्य पूर्ण करती हैं। लोगों की अवधारणा है कि नवरात्र माह में दर्शन करने पर माता सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
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