नेशनल हाईवे ने बांटा तो बिगड़ गई वार्ड की सूरत
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के खलीलाबाद के मड़या मोहल्ला और मिश्रौलिया गांव शहर से पूरी तरह कट गए हैं। नेशनल हाईवे ने इन मोहल्लों को अलग कर दिया है। नालियों की जर्जर स्थिति और बरसात में जलभराव की समस्या है। नागरिकों...
संतकबीरनगर, निज संवाददाता। संतकबीरनगर जिले के नगरपालिका खलीलाबाद का मड़या मोहल्ला शहर से पूरी तरह से कटा हुआ है। इसकी वजह नेशनल हाईवे है। हाईवे बनने के बाद शहर के उत्तर की ओर मड़या मोहल्ला हो गया और दक्षिण की ओर शहर। हाईवे ने मोहल्ले को पूरी तरह से शहर से अलग कर दिया और नागरिकों को दंश भी दे रहा है। हाईवे के किनारे जल निकासी के लिए नाली नहीं होने की वजह से बरसात के दिनों में मोहल्ले में पानी भर जाता है। सभासद को पानी निकलने के लिए पंपसेट लगाना पड़ता है। विस्तारीकरण के बाद इस वार्ड में मिश्रौलिया गांव को भी जोड़ दिया गया। इस गांव की हालत शहर में जुड़ने के बाद भी गंवई जैसी ही है।
मड़या वार्ड का मिश्रौलिया मोहल्ला पिछड़ेपन के दायरे से बाहर नहीं निकला पाया है। हाइवे के उत्तर दिशा में मड़या मोहल्ला होते हुए मिश्रौलिया मोहल्ले में जाया जाता है। यह मोहल्ला भी मड़या वार्ड में आता है। नगर के विस्तारीकरण के बाद मिश्रौलिया गांव को मड़या वार्ड में जोड़ दिया गया और यह गांव से निकल कर अब मिश्रौलिया मोहल्ले के नाम से जाना जाता है। इस वार्ड की नालियां पूरी तरह से जर्जर है और जो नालियां हैं भी वह गंदगी से भठी पड़ी हैं।
मिश्रौलिया मोहल्ला को शहरी सीमा में होने को चार साल का समय बीत गया, लेकिन इस मोहल्ले में शहर जैसी सुविधाएं अभी तक नहीं मिल पा रही हैं। इस मोहल्ले में जरूरतमंद लोगों को आवास की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। दूसरी ओर नालियों की सफाई महीना दो महीना पर एकाध बार हो जाती है। नालियों में झाड़ियां उग आई हैं। जो यहां के सफाई की हालत बयां कर रही हैं। इसकी वजह से यहां जल निकासी और भी नहीं हो पा रही है। नालियां बजबजाने की वजह से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय नागरिक मदनचंद्र ने बताया कि मोहल्ले में झाडू लगाने वाले रोज आते हैं। सड़क बहार कर चले जाते हैं। लेकिन नालियों की सफाई नहीं होती है। इसकी वजह से नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। नालियां जाम होने की वजह से बरसात में सड़क पर पानी बहता है। अरविंद कुमार ने बताया कि मोहल्ले के अंदर सफाई कर्मचारी नहीं आते हैं। बाहर-बाहर आकर चले जाते हैं। नालियों और झाड़ियों की सफाई हुई ही नहीं। आसपास चारो ओर झाड़ियां ही झाड़ियां हैं। इसकी वजह से मच्छरों का प्रकोप भी तेजी फैलता जा रहा है। हुबलाल ने बताया कि सफाई करने के लिए अधिकतर महिलाएं ही आती हैं। जो सड़क बहार कर चली जाती हैं। नालियों की सफाई के लिए महीनों तक कोई नहीं आता है। दो से तीन महीने में नाली की सफाई करने वाली टीम आती है। उसके बाद नालियों की सफाई होती है। उषा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक मिला नहीं। यहां से नगरपालिका तक चक्कर लगाते हैं। हमारी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। बताया जाता है कि जब आवास मिलना होगा तब बताया जाएगा।
मोहल्ले में होती थी कभी सूत कताई
मोहल्ले में कभी सूत कातने का काम बड़े पैमाने पर होता था। रात हो या फिर दिन हर समय खटरपटर सुनाई पड़ती थी। यहां से बैलगाड़ी पर सूत लद कर कताई मिल मगहर जाता था और वहां से कच्चा माल आता था। सूत कताई की वजह से यह मोहल्ला समृद्धवान हुआ करता था। गांधी आश्रम दम तोड़ने लगा और दूसरी ओर कताई मिल बंद हो गई। इसकी वजह से इस मोहल्ले की आर्थिक स्थिति पर भारी चोट पहुंची। कताई का काम ठप हो गया और अब लोग दुबारा खेती की ओर अग्रसर हो गए हैं। यहां का अर्थिक ढांचा खेती और मजदूरी पर निर्भर है।
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