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मंडलीय टीम की जांच में 10 हजार तो उपायुक्त मनरेगा की जांच में 1.89 लाख का सामने आया गबन

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के सुजिया गांव में मनरेगा में अनियमितता की शिकायत पर की गई जांच में जांच अधिकारियों ने 1.89 लाख रुपए की अनियमितता की पुष्टि की है। ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक को दोषी पाया गया...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSun, 20 April 2025 11:00 AM
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मंडलीय टीम की जांच में 10 हजार तो उपायुक्त मनरेगा की जांच में 1.89 लाख का सामने आया गबन

हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। सेमरियावां ब्लॉक के ग्राम पंचायत सुजिया में मनरेगा में अनियमितता की शिकायत पर मंडलीय प्राविधिक परीक्षक अंकुर वर्मा और उपायुक्त मनरेगा डॉ प्रभात कुमार द्विवेदी की अलग-अलग जांचों में भिन्नता देख लोग हैरत में हैं। मंडलीय प्राविधिक परीक्षक और शिकायतकर्ता की संतुष्टि पर उपायुक्त मनरेगा की जांच रिपोर्ट भारी पड़ने लगी है। उपायुक्त मनरेगा ने अनियमितता के आरोप में बड़ी कार्रवाई करने की सिफारिश की है। बघौली ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम बसडीला निवासी यार मोहम्मद पुत्र मोहम्मद जमा उर्फ भीखा ने सीएम पोर्टल पर शिकायती पत्र भेजा था। पत्र में आरोप लगाया गया कि सेमरियावां ब्लॉक के ग्राम सुजिया में एक ही परियोजना पर दो साल के भीतर नाम बदल कर दो बार कार्य दिखा कर भुगतान ले लिया गया। उक्त शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए जेडीसी बस्ती बलराम कुमार ने मंडलीय प्राविधिक परीक्षक अंकुर वर्मा से जांच कराई। 13 जनवरी को अंकुर वर्मा ने जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट 15 जनवरी को जेडीसी के समक्ष प्रस्तुत की। जांच रिपोर्ट के साथ शिकायतकर्ता का संतुष्टि पत्र भी शामिल गया था। जांच रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 में सगरवा गड़ही खुदाई एवं जीर्णोद्धार कार्य पर 2 लाख 41 हजार 968 रुपए खर्च करके कार्य कराया गया था। रिपोर्ट के अनुसार काम के दो साल बीत जाने के कारण वास्तविक मूल्यांकन संभव नहीं था। बाद में मुस्लिम कब्रिस्तान के बगल गड़ही के चारो तरफ बंधा निर्माण का कार्य कराया गया, जिसे शिकायतकर्ता ने रिपीट कार्य बताया था। मंडलीय प्राविधिक परीक्षक के अनुसार उक्त कार्य नौ माह पुराना है, इस पर 2 लाख 9 हजार 76 रुपए खर्च हुए। कार्य स्थल पर सीआईबी बोर्ड नहीं मिला। माप पुस्तिका में प्रोफाइल मेजरमेंट अंकित न होने के कारण ग्राम प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक से भुगतान धनराशि का पांच प्रतिशत वसूली किए जाने का निर्देश दिया गया। इस जांच से मौके पर मौजूद शिकायतकर्ता संतुष्ट भी रहा। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जेडीसी बस्ती मंडल बलराम कुमार ने जांच आख्या के साथ वृहद रिपोर्ट आयुक्त बस्ती मंडल को भेज दिया।

21 जनवरी को उपायुक्त की टीम ने की जांच

आईजीआरएस पर आई यार मोहम्मद की शिकायत का ही संज्ञान जिलाधिकारी ने भी लिया। उन्होंने इसकी जांच के लिए उपायुक्त मनरेगा के नेतृत्व में टीम गठित की। इसमें अवर अभियन्ता डीआरडीए को भी शामिल किया गया। उपायुक्त मनरेगा ने अवर अभियता के साथ मौके पर पहुंचकर 21 जनवरी 2025 को दोबारा जांच किया। उपायुक्त ने अपने जांच में एक लाख 89 हजार 383 रुपए की अनियमितता की पुष्टि की। उन्होंने जिलाधिकारी के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया। जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम प्रधान और तकनीकी सहायक से बराबर-बराबर वसूली कराने के आदेश दिए। साथ ही सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक के खिलाफ मनरेगा एसओपी के तहत और ग्राम प्रधान का 95-1 जी के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है।

एपीओ ने निरीक्षण के बाद की थी भुगतान की संतुति

जिस परियोजना पर डीसी मनरेगा की जांच रिपोर्ट में ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक वित्तीय अनियमितता के दोषी पाए गए हैं। उक्त परियोजना का कार्य पूर्ण होने के बाद एपीओ ने निरीक्षण किया था। एपीओ ने अपनी निरीक्षण आख्या में कार्य की गुणवत्ता और सार्थकता सही पाते हुए भुगतान की संतुति की थी। सवाल यह है कि यदि उसी परियोजना पर जिम्मेदार दोषी पाए गए तो एपीओ को क्लीन चिट कैसे मिल गई? वित्तीय अनियमितता में भुगतान करने वाले जिम्मेदारों के पर्यवेक्षण पर जांच अधिकारी की निगाह क्यों नहीं पड़ी, यह बड़ा सवाल है।

ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर हुआ था कार्य

ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक ने बीडीओ द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण में स्पष्ट किया कि दोनों परियोजनाएं अलग-अलग हैं। उनके अनुसार 2022-23 में मात्र गड़ही की खुदाई और जीर्णोद्धार कार्य हुआ था। बरसात में गड़ही का पानी उससे सटे कब्रिस्तान और किसानों की फसल को बर्बाद कर रहा था। जिसके कारण ग्राम पंचायत की बैठक में ग्रामीणों की मांग पर बंधा बनाकर कब्रिस्तान और किसानों की फसल बचाने का प्रस्ताव पास हुआ था। जनहित में यह कार्य कराया गया था।

उपायुक्त मनरेगा के नेतृत्व में गठित टीम की जांच में अनियमितता की पुष्टि हुई थी। उसके आधार पर कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। मंडलीय प्राविधिक परीक्षक के जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। उपायुक्त ने अभिलेखों के साथ ही स्थलीय निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट प्रेषित किया था।

महेन्द्र सिंह तंवर

जिलाधिकारी, संतकबीरनगर

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