दक्ष-सती प्रसंग सुन आनंदित हुए श्रोता
Santkabir-nagar News - बाबा कंकणेश्वर नाथ मंदिर में चल रही गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन संत ऋषिराज त्रिपाठी ने दक्षप्रजापति-सती प्रसंग की संगीतमयी कथा सुनाई। कथा में बताया गया कि सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए शिव की...
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पौली, हिन्दुस्तान संवाद। बाबा कंकणेश्वर नाथ मन्दिर परिसर मे चल रही गायत्री महायज्ञ व मानस प्रवचन के तीसरे दिन अवध धाम से पधारे संत ऋषिराज त्रिपाठी ने शनिवार को श्रोताओ को दक्षप्रजापति-सती प्रसंग का संगीतमयी कथा का रसपान कराया। कथा व्यास ने कहा कि सती जी जब अपने पिता महाराज दक्ष के यज्ञ में जाने का हठ किया तो भगवान शिव ने समझाने कि कोशिश करते हुए कहा कि 'जदपि मित्र प्रभु पितु गुर गेहा, जाइअ बिनु बोलेहुं न संदेहा। तदपि विरोध मान जहं कोई, तहां गए कल्यानु न होई।' इसमें संदेह नहीं कि मित्र, स्वामी, पिता और गुरु के घर बिना बुलाए भी जाना चाहिए। लेकिन यदि वहां कोई विरोध मानता हो, उसके घर जाने से कल्याण नहीं होता है।
सती जी के हठ के आगे हार मानकर शिव सती को पिता के यज्ञ में शामिल होने के लिए भेज दिया। वहां जाने पर अपने पिता द्वारा पति शिव का अपमान सहन नहीं कर सकी और पवित्र हवन कुंड में ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इससे दुखी होकर भगवान शिव ने समाधि लगा ली और घोर तपस्या में लीन हो गए। बाद में सती ने राजा हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया। इस मौके पर परमात्मा तिवारी ,चन्द्रप्रकाश तिवारी,राम अधीन पांडेय ,उमेश सिंह, सुमन्त राव, लाल साहब सिंह, आशुतोष सिंह, कृष्ण चन्द्र माझी, अखिलेश्वर सिंह आदि मौजूद रहे।
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