किसान ने लेखपाल पर लगाया दबंगई का आरोप
कांटे, हिन्दुस्तान संवाद। विकास खण्ड सेमरियावा के सालेहपुर गांव का किसान अपना धान नहीं
कांटे, हिन्दुस्तान संवाद। विकास खण्ड सेमरियावा के सालेहपुर गांव का किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। गांव के एक किसान ने हल्का लेखपाल विवेकानंद पाण्डेय पर दबंगई करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा गलत रिपोर्ट लगा दी जाती है। जिस वजह से वे अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। किसान काफी परेशान हैं। किस तरह से धान को बेचा जाय। मोबाईल के माध्यम से किसान लेखपाल से बात करना चाहते हैं तो लेखपाल काल काट देते हैं।
सालेहपुर गांव मे धान की पैदावार भारी मात्रा में होती है। गांव के किसान अमित यादव ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय लेखपाल धान सत्यापन को लेकर गलत रिपोर्ट लगा रहे हैं। इसी वजह से हम जैसे तमाम किसान अपना धान बेचने के लिए परेशान हैं। किसान अमित यादव ने बताया धान बेचने के लिए आनलाइन आवेदन करवाया था। इसका सत्यापन करने के लिए पहले तो लेखपाल मिल नहीं रहे थे। हल्का लेखपाल होने के बाद गांव मे आना-जाना नहीं रहता। गांव के लोग जो हल्का लेखपाल का नाम तक नहीं जानते पहचानना तो दूर की बात है। बहुत मुश्किल के बाद धान का सत्यापन हुआ है। जब उन्होंने कागज निकलवाया और देखा तो उसमें लेखपाल ने उनका ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिया। कहा कि ऑनलाइन अभिलेख में नाम नहीं है।
किसान अमित का कहना है कि कुछ महीनों से रियल टाइम खतौनी निकलने से जिस रकबे में ज्यादा लोग हिस्सेदार हैं, उनका धान बेचने के आवेदन में कुछ लोगों का ही नाम दिख़ाता है। जिसका सत्यपान करने के लिए लेखपाल या तो किसान से खतौनी की प्रति मांगते हैं या खुद अपने खतौनी के रजिस्टर में देखकर सत्यापन करते है। अमित का आरोप है कि यह सब प्रक्रिया दर किनार करके लेखपाल ने धान सत्यापन के ऑनलाइन आवेदन को निरस्त कर दिए। जबकि गाटा संख्या 278 में अमित यादव नाम पहले ही पन्ने पर दर्ज है। इसके बावजूद भी लेखपाल ने ऑनलाइन सत्यापन में निरस्त कर दिया। इसके बारे में किसान द्वारा मोबाईल के माध्यम से लेखपाल से पूछने पर कि क्यों निरस्त कर दिए तो लेखपाल का कहना है कि नाम नहीं था। इसलिए हो गया तो हो गया। यह कहकर फोन काट दिए। किसान अमित यादव का कहना है कि सरकारी नियम है कि जब तक किसान का आवेदन सत्यापन नहीं होता, तब तक उनका धान मंडी में नहीं खरीदा जाएगा।
केंद्र प्रभारी कहते हैं कि पहले लेखपाल की सत्यापन रिपोर्ट लगवाइए और फीडिंग कराइए तब धान खरीद होगी। कूपन क्रय केंद्र से दिया जाएगा। धान बेचने की परमिशन के नाम पर पहले तो किसानों को अपने खसरा-खतौनी के कागजात फीड कराने पड़ते हैं। इसके बाद लेखपाल उसमें रिपोर्ट लगाता है। हल्का लेखपाल के रिपोर्ट लगाने के बाद फिर तहसील में फीडिंग होती है। इसके बाद जाकर किसान को धान खरीद केंद्रो में धान बेचने का मौका मिलता है। इन सब समस्या को देखकर किसान को मज़बूरी में प्राइवेट में अपना धान बेचने पड़ेगा जहां पर उन्हें अच्छा रेट नहीं मिलता है।
वहीं हल्का लेखपाल विवेकानंद पाण्डेय से किसान के आरोप के बारे मे पूछने पर कहा कि आवेदन निरस्त हो गया तो क्या करें। जाएं किसान जहां मन कर शिकायत करें। यह कहकर फोन कट कर दिया।
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