ध्रुव चरित्र की कथा सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता
Santkabir-nagar News - ककरहा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य उपेन्द्र पराशर ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि भगवान की भक्ति में उम्र की कोई बाधा नहीं होती और धैर्य-संयम परिवार के लिए आवश्यक है।...

पौली, हिन्दुस्तान संवाद। ब्लॉक क्षेत्र पौली के ककरहा गांव में अयोजित श्रीमद्भागवत कथा में अवध धाम से पधारे आचार्य उपेन्द्र पराशर ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा व्यास ने बताया कि भागवत कथा सुनने से व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के साथ भगवान के प्रति गहरी आस्था बढ़ती है। उन्होंने सती प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो तो नहीं हो रहा है। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए।
ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के अपमानित करने पर भी उनकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य-संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव ने तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाया। कहा कि भक्ति के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बना सकते हैं।अगर ध्रुव पांच साल की उम्र में भगवान को पा सकता है तो फिर हम कैसे पिछड़ सकते हैं। अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए, तो भगवान खुद अपने भक्तों से मिलने पहुंच जाते है। इस मौके पर यजमान सपत्नीक राजेन्द पान्डेय, प्रभाकर रत्न पान्डेय, बृजलाल तिवारी, मार्कंडेय पान्डेय, राज नरायण चौबे, अनमोल पान्डेय समेत बहुत से लोग मौजूद रहे।
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