शासन से धन मिले तो नए क्षेत्रों का हो विकास
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद शहर के विस्तारीकरण में शामिल हुए
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम।
संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद शहर के विस्तारीकरण में शामिल हुए आसपास के 16 गांवों के विकास के लिए शासन से धन की दरकार है। धन मिले तो इन क्षेत्रों का विकास हो। इससे इन क्षेत्रों में शहर जैसा लुक नहीं आ पा रहा है। अभी भी यहां पर गांव जैसा ही नजारा नजर आ रहा है। मोहल्लों में न तो डामरीकृत रोड नजर आ रही है। न तो स्ट्रीट लाइटें जल रही हैं और न ही बेहतर नाली बन पा रही है।
खलीलाबाद नगरपालिका का विस्तारीकरण लगभग चार साल पहले कर दिया गया। शहर की सीमा बढ़ाकर बनियाबारी, गौसपुर, मोहद्दीनपुर, डीघा, मैलानी, बड़गो, सरैया, सरौली, खटौली, सादिकगंज, पटखौली, कसैला, मिश्रौलिया, उस्का खुर्द को जोड़ा गया। 2020 में ही इन गांवों को राजस्व की सीमा से निकाल कर शहर में जोड़ दिया। यानी इन गांवों में प्रधानी चुनाव नहीं हुआ। तभी से ये गांव शहर का हिस्सा बन गए। नए परिसीमन के बाद इन गांवों को वार्ड का हिस्सा बना लिया गया। अभी भी इन गांवों का लुक नहीं बदला। इन गांवों में शहर जैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। विधियानी मोहल्ले में बनियाबारी, सादिकगंज को जोड़ दिया गया। मटिहना वार्ड में उस्का खुर्द गांव को जोड़ा गया है। एक एक करके सभी गावों को वार्डों से जोड़ दिया गया। तब लग रहा था कि अब इन गांवों का विकास तेजी से होगा। नए परिसीमन के बाद नगरपालिका का चुनाव होने के बाद भी इन मोहल्लों का विकास नहीं हो सका। इसकी वजह शामिल हुए 16 गांव के विकास के लिए जितने धन की दरकार हैं उतनी धनराशि नहीं मिल पा रही है। यही कारण है कि नाली, खड़ंजा, स्ट्रीट लाइट सब कुछ वैसे ही है। नगर पालिका खलीलाबाद के चेयरमैन जगत जायसवाल ने कहा कि विस्तारीकरण क्षेत्र के विकास के लिए जितनी धनराशि की जरूरत है, उतनी धनराशि शासन से नहीं मिल पा रही है। यही कारण है कि सीमित संसाधनों से धीरे-धीरे विस्तारीकृत क्षेत्र का विकास किया जा रहा है।
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